गणपति स्वागत है
पधारिये गिरजाशिव नन्दन, गणपति स्वागत है।
बुद्धि प्रदाता हे दुख भंजन सदा शुभागत है।।
मुसक वाहन प्रखर प्रणेता,जग के नायक हो।
प्रथम पुज्य तुम हो अग्रेता, सुख के दायक हो
विश्वासों का दीप जलाये, हम शरणागत है।
पधारिये गिरजा शिव नन्दन, गणपति स्वागत है ।।
मात पिता में ब्रह्मण्ड बसा, बतलाया जग को ।
आशीष पा जगत जननी का, प्रथम हुए मग को।।
रिद्धि सिद्धि के तुम हो दाता,शुभ अभ्यागत है।
पधारिये गिरजाशिव नन्दन,गणपति स्वागत है ।।
ध्यान धरे श्रद्धा से तुमको, मनवांच्छित मिलता।
शील विवेक साथ मिले उसे , जो तुम पर रिझता।
हे लम्बोदर विघ्नविनाशक, अब प्रत्यागत है ।।
बुद्धि प्रदाता हे दुख भंजन , सदा शुभागत है ।
हाथ जोड़ सुन विनय हमारी, करूँ मैं वन्दना।
विपदा को कर दूर हमारी, करूँ मैं अर्चना।
भारत अखण्ड रहे सदा, सिद्ध तथागत है ।।
पधारिये गिरजशिव नन्दन, गणपति स्वागत है ।।
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