गणपति को विघ्ननाशक, बुद्धिदाता माना जाता है। कोई भी कार्य ठीक ढंग से सम्पन्न करने के लिए उसके प्रारम्भ में गणपति का पूजन किया जाता है।
भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का दिन “गणेश चतुर्थी” के नाम से जाना जाता हैं। इसे “विनायक चतुर्थी” भी कहते हैं । महाराष्ट्र में यह उत्सव सर्वाधिक लोक प्रिय हैं। घर-घर में लोग गणपति की मूर्ति लाकर उसकी पूजा करते हैं।
हे गणपति सुनले विनती
हे गणपति, सुनले विनती ।
यह पुकार है मेरे दिल की ।।
मांगे जो भी ,वो मिल जाती ।
महिमा तेरी, यह जहां गाती।
आप हो प्रथम पूज्य देव।
उमा माता ,पिता महादेव ।
मूषक तेरी वाहन है ।
लीला तेरी मनभावन है।
हे गजानन ,भक्ति तेरी जिंदगी संवारती।हे गणपति, सुनले विनती…
मोदक आपको खूब भाये।
तेरी आरती संग हैं लाए ।
सुनले मेरी प्रार्थना
वंदना तेरी दिल से गाये।
तेरे नाम की दीया रगों में हरपल सुलगती ।
हे गणपति, सुनले विनती…..
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