हम कुछ करके दिखलाएँगे
है शौक यही, अरमान यही, हम कुछ करके दिखलाएँगे।
मरने वाली दुनिया में हम, अमरों में नाम लिखाएँगे।
जो लोग गरीब भिखारी हैं, जिन पर न किसी की छाया है।
हम उनको गले लगायेंगे, हम उनको सुखी बनायेंगे।
जो लोग अँधेरे घर में हैं, अपनी ही नहीं नज़र में हैं,
हम उनके कोने-कोन में, उद्यम का दीप जलाएँगे।
जो लोग हारकर बैठे हैं, उम्मीद मारकर बैठे हैं।
हम उनके बुझे दिमागों में, फिर से उत्साह जगाएँगे।
रोको मत आगे बढ़ने दो,आज़ादी के दीवाने हैं।
हम मातृभूमि की सेवा में, अपना सर्वस्व लगाएँगे।
हम उन वीरों के बच्चे हैं जो धुन के पक्के, सच्चे थे।
हम उनका मान बढ़ायेंगे, हम जग में नाम कमाएँगे।
है शौक..
–कमलेश त्रिपाठी
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