हिंदी संग्रह कविता-वह जीवन भी क्या जीवन है

वह जीवन भी क्या जीवन है

कविता संग्रह
कविता संग्रह


वह जीवन भी क्या जीवन है, जो काम देश के आ न सका।
वह चन्दन भी क्या चन्दन है, जो अपना वन महका न सका।


जिसकी धरती पर जन्म लिया, जिसके समीर से श्वास चली
जिसके अमृत से प्यास बुझी, जिसकी माटी से देह पली।


वह क्या सपूत जो जन्मभूमि के, प्रति कर्तव्य निभा न सका।
वह जीवन भी क्या जीवन है, जो काम देश के आ न सका।

मुनिवर दधीचि हो गये अमर जिनकी हड्डियों से बज्र बना।
संकट समाज का दूर किया देकर पावन शरीर अपना।
वह मानव क्या समाज के हित, निज प्राण प्रसून चढ़ा न सका।
वह जीवन भी क्या जीवन


ऐसे महान् चाणक्य जिन्होंने, चन्द्रगुप्त का सृजन किया।
अन्यायी राजा को रौंदा, यूनानी शत्रु भगा दिया।
वह नाविक क्या जो तूफानों में, नौका पार लगा न सका।
वह जीवन भी क्या जीवन


राणा का जीवन जीवन था, जिसने महलों को छोड़ दिया।
रोटियाँ घास की खा वन में, आजादी का संघर्ष किया।
वह देश प्रेम क्या देश प्रेम जो, कंटक पथ अपना न सका।
वह जीवन भी क्या जीवन

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *