इस रचना में धरती माँ के साथ हुए अत्याचार का विवरण मिलता है | साथ ही लोगों को धरती माँ की सेवा हेतु प्रेरित करने का प्रयास किया गया है |
धरती माँ- कविता - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम"
इस रचना में कवि जीवन में कुछ आदर्श स्थापित करने के लिए प्रेरित कर रहा है जिससे जीवन को एक सही दिशा मिल सके |
आओ मिल प्रण करें हम- कविता - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम"
इस रचना के माध्यम से कवि जीवन को एक दिशा की ओर ले जाना चाहता है | जीवन में जो गलतियां की जाती हैं उनकी ओर भी पाठकों का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की गयी है |
अनैतिकता के पाताल के गर्त में- कविता - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम"
इस रचना के माध्यम से कवि जीवन को उस दिशा में ले जाना चाहता है जहां उसे उसकी मंजिल मिल सके |
चल रहा हूँ उस पथ पर - कविता - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम"
यह रचना जीवन में होते उतार - चढ़ाव का सामना करते हुए आगे बढ़ने को प्रेरित करती है | साथ ही मुसीबतों से न घबराने और स्वयं को स्थापित करने की प्रेरणा देती है |
पल पल गिरता - कविता - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम"
इस कविता में जीवन संघर्ष के दौर में भी खुद पर भरोसा रखने और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया गया है |
घबराना नहीं है तुमको - कविता - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम"
इस रचना के माध्यम से जीवन में फूलों के साथ काँटों के साथ जीने के लिए प्रेरित किया गया है और किसी भी स्थिति में न घबराने के लिए और संघर्ष के लिए प्रेरित किया गया है |
करो जो बात फूलों की - कविता - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम"