सद्व्यवहार – राकेश सक्सेना

सद्व्यवहार – राकेश सक्सेना

रिश्ते बेजान से
मित्र अंजान से
अपने पराये से
हो जाते हैं,
जब सितारे
गर्दिश में हों।।

दुश्मन दोस्त
पराए अपने
और अपने
सर पे बिठाते हैं
जब सितारे
बुलंदी पर हों।।

मुंह देखी प्रीत
दुनियां की रीत है
धन, क्षणिक खुशी
सद्व्यवहार
असल जीत है।।

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

This Post Has 0 Comments

  1. वंशिका यादव अनुष्का (अनू)

    Bahut aachi hai

Leave a Reply