मैं न हिन्दू हूँ , न मुसलमान हूँ – कविता – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

इस कविता के माध्यम से कवि धर्म से ऊपर उठ इंसानियत को तवज्जो दे रहा है और इस पंक्तियों के माध्यम से भीतर के इंसान को बहुत ही खूबसूरत ढंग से पेश कर रहा है |

मेरी कलम से पूछो – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

इस रचना के माध्यम से कलम अपने दर्द को किस तरह बयाँ कर रही है को बेहतर तरीके से पंक्तिबद्ध करने की एक कोशिश की गयी है |

रिश्ते नाते (कुण्डलिया )- माधुरी डडसेना

रिश्ते नाते (कुण्डलिया )- माधुरी डडसेना नाते गढ़ने के लिए , रचने पड़ते स्वांग ।बार बार हैं जाँचते , कहता क्या पंचांग ।।कहता क्या पंचाग , बनी उत्सुकता भारी ।करते…