मेरी और पत्नी पर कविता - 30.04.2022 मेरी पत्नी दोपहर बादअक़्सर कुछ खाने के लिएमुझे पूछती हैमैं सिर हिलाकरसाफ मना कर देता हूँमेरे मना करने सेउसे बहुत बुरा लगता हैकि…
क्रोध पर कविता मुझे नहीं पतापहली बारमेरे भीतरकब जागा था क्रोधशुरूआत चिनगारी-सी हुई होगीआज आग रूप मेंसाकार हो चुकी हैफिर भी इतनी भीषण नहीं हैकि अपनी आंच से किसी को…
यह ज़िन्दगी पर कविता रंगीन टेलीविजन-सी यह ज़िन्दगीलाइट गुल होने परबंद हो जाती है अचानककाले पड़ जाते हैं इसके पर्देबस यूँ ही--अचानक थम जाती हैहमारी उम्रऔर थम जाते हैंजीवन और…
बताइये आप कौन हैं कुछ लोग हामी भरने मेंबड़े माहिर होते हैंपर काम कुछ भी नहीं करतेउनके मुख से हमेशानिकलता है हाँ-हाँ-हाँइनके शब्दकोश में 'ना' शब्द नहीं होताये कभी ना…
कैमरे पर कविता वे रहते हैं ब्लैकआउट कमरों मेंवे हमें देखकर चलते है दांवबंद होते हैं उनके दरवाज़े और किवाड़हर बार हमारे साथ होता है खिलवाड़ हम देख नहीं पातेकोई…
सुबह पर कविता सुबह सबेरे दृश्य सुबह-सुबह सूरज ने मुझेआकर हिचकोलाऔर पुचकारते हुए बोलाउट्ठो प्यारेसुबह हो गई हैआलस त्यागोमुँह धो लो मैंने करवट बदलते हुएअंगड़ाई लेते हुएलरजते स्वर में बोलासूरज…
आख़िर गुस्तागी पर कविता अहम से भरा मूर्तिमानराजन ऊँचे आसन परविराजमान थाचाटुकार मंत्रीगणउनके नीचे इर्द गिर्द बैठे हुए थे दरबार में मेरी पेशी थीमुझे ही मेरी गुस्ताख़ी पता नहीं थामुझ…
आविष्कारों पर कविता ये जो रेफ्रीजरेटरवैज्ञानिकों ने बनाया हैकमाल हैसब्ज़ी भाजी को सड़ने नहीं देताऔर खाने पीने की चीजों कोरखता है बड़ा ठंडा-ठंडा कुल-कुल ये एयर कंडीशनर भीबड़े कमाल के…
गंजापन पर कविता मेरा मित्र गंजाथा बहुत हिष्ट पुष्ट और चंगातपती धूप में अकेले खड़ा थाउसका दिमाग़ न जानेकिस आइडिया में पड़ा था?मेरा बदन तो धूप में जल रहा थापर…