चाहत को तुम पलकों में छुपाया न करो

चाहत को तुम पलकों में छुपाया न करो सुनो न सुनो न ऐसे तड़पाया न करोपास बुला के दूर को हटाया न करोआख़िर इतना क्यों इतराते रहते होकितनी बार कहा…

भारत मां के सपूत

भारत मां के सपूत                   (1)तिलक लगाकर चल, भाल सजाकर चल।माटी मेरे देश की, कफ़न लगाकर चल।देश में वीर योद्धा जन्मे, मच गई खलबल।भारत मां के सपूत है ,आगे चल आगे…
mahatma gandhi

वन्दे मातरम् गाऊँगा

वन्दे मातरम् गाऊँगा बापू जी के चरखे को,मैं भी खूब घुमाऊँगा।सत्य-अहिंसा की बातें,सबको रोज सुनाऊँगा।।चाचा जी के लाल ग़ुलाब,बाग़-बगीचे में लगाउँगा।शीश झुकाकर चरणों में,लाल ग़ुलाब चढ़ाऊँगा।।पर्वत-घाटी ऊँचा चढ़कर,तिरंगा ध्वज फहराउंगा।चाहे…

बोझ पर कविता

बोझ पर कविता कभी कभीकलम भी बोझ लगने लगती हैजब शब्द नहीं देते साथअंतरभावों काउमड़ती पीड़ायें दफन हो जातीभीतर कहींउबलता है कुछधधकता हैज्वालामुखी सीविचारों के बवंडरभूकंप सा कंपाते हैमन मस्तिष्क…

जीवनामृत मेरे श्याम

जीवनामृत  मेरे   श्याम :   -- अमृत  कहाँ  ले  पाबे रे  मंथन  करे बगैर ।सद्ज्ञान नई मिले तोला साधन करे बगैर ।। मन  मंदराचल  बना ले  हिरदे  समुंद  कर ,मन  नई…

हिन्दी की बिंदी में शान

हिन्दी की बिंदी में शान हिन्दी भाषा की बिंदी  में शान।तिरंगे के गौरव गाथा की आन।।राजभाषा का ये पाती सम्मान।राष्ट्रभाषा से मेरा भारत महान ।। संस्कृत के मस्तक पर चमके।सिंधी,पंजाबी…

बसंत बहार

बसंत बहार शरद फुहार जाने लगीबसंती बहार आने लगी !कोयल की कूक गुंजे चहुँ ओरधीरे - धीरे धूप तेज कदम नेंबाग में आम बौराने लगी! शाम ढ़ले चहचहाते पक्षियोंघोसला को…

भोर का दिनकर

" भोर का दिनकर " पश्चिम के सूर्य की तरहदुनियाँ भी ….मुझे झूठी लगीमानवता काएक भी पदचिन्हअब तो दिखाई नहीं देताजागती आँखों केसपनों की तरहअन्तःस्थल कीभावनाएँ भीखण्डित होती हैंतब ..जीवन…

लकड़ियों पर कविता

लकड़ियों पर कविता              चिता की लकड़ियाँ,ठहाके लगा रही थीं,शक्तिशाली मानव को,निःशब्द जला रही थीं!मैं सिसकती रही,जब तू सताता था,कुल्हाड़ी लिए हाथ में,ताकत पर इतराता था!भूल जाता बचपन में,खिलौना बन…

बोल रहे पाषाण

बोल रहे पाषाण बोल रहे पाषाण अबव्यक्ति खड़ा मौन है,छोड़ा खुद को तराशनापत्थरों पर ही जोर है।कभी घर की दीवारेंकभी आँगन-गलियारे,रखना खुद को सजाकररंग -रौगन का दौर है।घर के महंगे…