मिट्टी के दीया पर कविता
एक दीया मिट्टी का जलाएँ l
दूसरा दीया मन का जलाएँ ll
अन्धकार से प्रकाशित करे l
मिट्टी के दीये प्रज्वलित करे ll
ईर्ष्या,द्वेष,अहं से मुक्ति पाए l
मन के दीये की रोशनी पाए ll 1
एक दीया मिट्टी का जलाएँ l
दूसरा दीया मन का जलाएँ ll
फुटपाथ हाट से दीये खरीदे l
बूढ़ी अम्मा को मुस्कुराहट दे ll
दिखावटी वस्तुओं से दूरी करे l
स्वदेशी वस्तुओं का क्रय करे ll 2
एक दीया मिट्टी का जलाएँ l
दूसरा दीया मन का जलाएँ ll
कपड़े व मिठाइयाँ बंटे गरीबों में l
चेहरे पर मुस्कुराहट दिखे गरीबों में ll
भूखे सोये न कोई इस दीवाली में l
ग़रीबों के घर दीप जले दीवाली में ll 3
एक दीया मिट्टी का जलाएँ l
दूसरा दीया मन का जलाएँ ll
प्रेम, मित्रता,अपनत्व का भाव रखे l
प्रकाश पर्व का भाईचारा रखे ll
आओ इस दीवाली पर एक प्रण ले l
कोई अकेला दीप न जले दीवाली में ll 4
एक दीया मिट्टी का जलाएँ l
दूसरा दीया मन का जलाएँ ll
✍? कुमार जितेन्द्र (बाड़मेर – राजस्थान)
कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद