Category: हिंदी कविता

  • मैं हूँ पहाड़-विनोद सिल्ला

    मैं हूँ पहाड़

    मैं हूँ पहाड़
    तुम्हारे आकर्षण का
    हूँ केन्द्र
    शक्ति का
    विशालता का
    हूँ परिचायक
    नदियाँ हैं
    मेरी सुता
    जो हैं पराया धन
    हो जाती हैं
    मुझसे जुदा
    होती हैं बेताब 
    समुद्र से मिलने को
    समुद्र में 
    विलीन होने को
    होती हैं
    मुझसे जुदा
    नई दुनिया 
    बसाने को

    -विनोद सिल्ला©
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  • जिंदगी पर कविता -सरोज कंवर शेखावत

    जिंदगी पर कविता -सरोज कंवर शेखावत

    जिन्दगी
    जिंदगी- कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

    जिंदगी ने जिंदगी से ऐसा भी क्या कह दिया,
    लब तो खामोश थे फिर क्या उसने सुन लिया।

    वक़्त की बेइमानियां सह ग‌ए हम  चुप खड़े,
    तूने जब मूंह मोड़ा हमसे हमने जहर है पिया।

    इस जहां की बंदिशों में हमने जीना सीखा है,
    दिल फंसा तेरे इश्क में बिन तेरे न लागे जिया।

    गुमशुदा सी राह में तुम मिले हमें इस कदर,
    प्यार का अहसास हुआ शुक्रिया तेरा शुक्रिया।

    इश्क की तालीम देकर यूं हुए तुम बेखबर,
    जान ले लेगी जुदाई यूं ना बन तूं अश्किया।

    आ भी जा अब लौट आ पुकारती निगाह है,
    छटपटाती रूह को बाहों में ले परदेशिया।

    जिंदगी ने जिंदगी से ऐसा भी क्या कह दिया,
    लब तो खामोश थे फिर क्या उसने सुन लिया।
             -सरोज कंवर शेखावत

  • अंकिता जैन की कविता

    अंकिता जैन की कविता

    विचित्र दुनिया

         
    ये बड़ी विचित्र दुनिया है,
    यहाँ, विचित्र राग गाया जाता हैं।
    अपने घाव रो रो कर दिखाते,
    और दूसरे के घावो पर,
    नमक लगाया जाता हैं।
    ये बड़ी विचित्र दुनिया हैं,
    यहां विचित्र राग गाया जाता हैं।
    कभी मजहब पर झगड़े होते,
    तो कभी जात को मुद्दा बनाया जाता हैं,
    ये बड़ी विचित्र दुनिया है,
    यहां विचित्र राग गाया जाता हैं।
    अपनी-अपनी  ढंकते यहां,
    और दूसरों का तमाशा बनाया जाता है,
    ये बड़ी विचित्र दुनिया हैं,
    यहां विचित्र राग गाया जाता हैं।
    पैसा सर्वोच्च शक्ति यहां की,
    पैसे से सबको नचाया जाता है,
    ये बड़ी विचित्र दुनिया हैं,
    यहां विचित्र राग गाया जाता हैं।

    अंकिता जैन’अवनी’
    (लेखिका/कवियत्री)
    अशोकनगर(म.प्र)

    शुरुआत नई करें कविता

    नये संकल्प दरवाजे पर,
    दस्तक दे रहे हैं।
    नये प्रयास पास बुला रहे हैं।
    नए राहगीर मिल गए,
    जो नई दिशा में ले जा रहे हैं।
    पुराने दु:ख, पुरानी तकलीफ,
    रह-रह कर बाहर आती है।
    पुरानी पीड़ा हर रोज हमें, रुलाती है,
    पर दर्द की यही चुभन,
    नई शुरुआत का आगाज कराती है।
    हम भटके परिंदे वर्तमान में कम,
    अतीत में ज्यादा गुम रहते हैं।
    अच्छे नहीं कटु अनुभव,
    हम ज्यादा कहते हैं,
    चलो अब आगे बढ़े
    क्यों पीछे रह गये हम,
    भुला दे उस घड़ी को
    जिसने आंखों को किया नम
    अब आशावादी हो,
    हमारा मन और नई खुशियों को,
    समेट ले, ये दामन।

    अंकिता जैन अवनी
    अशोकनगर मप्र

  • शहीदों पर कविता-माधवी गणवीर

     शहीदों पर कविता 

    वतन के लिए कुर्बान होने की बात है
    बस अपना फर्ज निभाने की बात है।

    कोई हमसे पूछे दिलो का जज्बा,
    हसीन कायनात सजाने की बात है।

    वतन पे जान लुटाने वालो,
    देश भक्ति का जज्बा जगाने की बात है।

    अमन और शान्ति से देश रहेगा
    हरमो करम खुदा की होने की बात है।

    हसीन सौगाते दे जायेगे मुल्क को
    दिलो में भाई चारा लाने की बात है।

          माधवी गणवीर
          डोंगरगांव
    जिला -राजनादगांव
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  • बस्तर धाम पर कविता-शशिकला कठोलिया

    बस्तर धाम पर कविता

    उच्च गिरि कानन आच्छादित,   

    छत्तीसगढ़ का यह भाग, 
    प्रकृति की गोद में बसा ,
    सुंदर पावन बस्तर धाम ।

    नदियों का कल कल प्रवाह ,
    कर रही सुंदर दृश्यों की सर्जना,
    गिराते हराते जलप्रपात ,
    करते जैसे वारिद गर्जना ।

    सघन विशाल शैल श्रृंखलाएं ,
    कह रही वनों की व्यथा ,
                       शिलाओ पर संगीतिक ध्वनियां,                     
    सुना रही सुरम्य कथा ।

    बिखरा पड़ा है चारों ओर ,
    कांगेर का प्राकृतिक वैभव ,
    सुंदर कहानी बता रही है , 
    वन्य पक्षियों की अनवरत कलरव।

    दूधिया पानी फ़ौव्वारो का ,
    दिख रहा रूप विलक्षण ,
    असंख्य श्वेत मोतियों की ,
    वर्षा हो रही प्रतिक्षण ।

    रहस्य छुपाती कुटुमसर गुफा ,
    दांतो तले उंगली दबाते ,
    फैला है अंधेरों का साम्राज्य,
    सबके मन को है लुभाते ।

    चित्रकूट तीरथगढ़ जैसे ,
    यहां है सुंदर जलप्रपात ,
    दूध सी सरीखी बहती ,
    अविरल धारा निपात ।

    बारसूर का मंदिर अनुपम ,
    बनावट उसकी बेमिसाल,
    बत्तीस खंभों पर खड़ा ,
    विनायक की प्रतिमा विशाल।

    विभिन्न प्रजातियों से ,
    घिरा वन है घनघोर ,
    विशाल घाटियाँ है वहां ,
    नहीं दिखता कहीं छोर ।

    बैलाडीला में है स्थित ,
    विपुल लोहे की खदान ,
    विदेशों में निर्यात करते ,
    पहुंचाते हैं जापान ।

    मां दंतेश्वरी का पावन मंदिर,
    है परम पुनीत ,
                             कह रही प्राचीन कथाएं,                          
    अलौकिक उसका अतीत ।

    संपूर्ण वन प्रांतर में ,
    छाई हुई है हरियाली ।
    नैसर्गिक सुंदरता से भरा ,
    बस्तर की छटा है निराली ।

    श्रीमती शशिकला कठोलिया, 
    शिक्षिका ,अमलीडीह, डोंगरगांव
    कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद