छत्तीसगढ़ महतारी /पुनीत राम सूर्यवंशी

छत्तीसगढ़ महतारी /पुनीत राम सूर्यवंशी

छत्तीसगढ़ महतारी/ पुनीत राम सूर्यवंशी               सुघ्घर हाबय छत्तीसगढ़ महतारी,एला कइथे भईया धान के कटोरा,आवव मयारू मितान संगवारी मन,नवा छत्तीसगढ़ राज बनाय बर हे।   बोली-भाखा,जात-पात, छुआ-छुत ल,छोड़ के कहव हमन हाबन एखर संतान,महानदी, अरपा, पइरी, इंन्द्रावती नदी म,बांध बंधवा के खेत म पानी पहुंचाय बर हे।जम्मो कमाईया मन ल काम-बुता मिलय,देवभोग अऊ सोनाखान के खनिज … Read more

जो भारत विरोधी नारा लगाते

जो भारत विरोधी नारा लगाते “जो भारत विरोधी नारा लगाते”अपनी भारत माता डरी हुई ,वो कुछ भी नही कह पाती है ।अपने कुछ गद्दारों के कारण,मन ही मन वो शर्माती है ।।पाल पोस कर बडा किया,इसकी आँगन मे ही खेले ।वो पिला रही थी दूध जिन्हें,पर निकले वही हैं जहरीले ।।इन्हीं जयचंदों के कारण ,मुगलों … Read more

हकीकत तब पता चलता है

हकीकत तब पता चलता है हकीकत तब पता चलता है                  कौन अपना है ,कौन पराया है ,                                 ये तो वक़्त बताता है ।हकीकत तब पता चलता है जीवन में,                    जब बुरा वक़्त आता है ।।01।।न कोई दोस्त है यहां,                                 ना कोई यार है ।यह दुनियाँ भी यारों ,                       मतलब का संसार है ।।02।।बुरे वक़्त में … Read more

निःशब्द तो नहीं

निःशब्द तो नहीं [१]निःशब्द तो नहीं !किंचित् भी नहीं !!बस…नहीं हैं आजशहद या गुलाबी इत्र मेंडुबोयेसुंदर-सुकोमल-सुगंधित शब्दनहीं हैं आजकर्णप्रिय,रसीले,बांसुरी के तानों संगगुनगुनाते अल्फाज़…सब जल गये !भस्म हो गयेसारे के सारेअंतरिक्ष में विचरतेछंदटूट-फूटकरबिखर गये सारे अलंकारनिस्सार हो गयींसारी व्यंजनाएँलक्षणा भी हो गयीं सारीमहत्त्वहीन..अबबचे हैं तो केवलउबड़-खाबड़कंटकाकीर्णक्षिति पर पांव जमाते……कुछ शब्दजो टटोलते हैंपैरों से अपना ज़मीनपैरों के … Read more

आक्रोश पर कविता

आक्रोश पर कविता                           ये आज्ञा अब है मिली ,खुल के लो प्रतिशोध चुन- चुन के रिपु मारिये, हो गलती  का बोध ।।                           *कोई अब बातें नहीं , करो सिर्फ आघात ।दुष्ट दमन करते चलो , एक बराबर  सात ।।  .                        *जय भारत जय हिंद से , गूँज  उठे  संसार ।माँ भारती तिलक करो , … Read more