Category: हिंदी कविता

  • पेड़ हमारे मित्र पर कविता

    पेड़ हमारे मित्र पर कविता

    पेड़ हमारे जीवन के अनमोल साथी और सच्चे मित्र होते हैं। ये हमें स्वच्छ वायु, छाया, और अनेक प्रकार के फल-फूल प्रदान करते हैं। इनका महत्व केवल हमारे दैनिक जीवन तक ही सीमित नहीं है, बल्कि ये हमारे पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

    पेड़ हमारे सच्चे मित्र हैं जो निःस्वार्थ भाव से हमें अनेक लाभ प्रदान करते हैं। इनकी रक्षा करना और इन्हें संरक्षित करना हमारा कर्तव्य है। हमें अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए और उनकी देखभाल करनी चाहिए ताकि हम और आने वाली पीढ़ियाँ एक स्वस्थ और संतुलित पर्यावरण में जी सकें।

    इस प्रकार, “पेड़ हमारे मित्र” कविता संकलन के माध्यम से कवि ने पेड़ों के महत्व और उनके प्रति हमारी जिम्मेदारियों को उजागर किया है।

    पेड़ हमारे मित्र पर कविता"
    poem on trees

    पेड़ पर कविता

    पेड़वा बिना (भोजपुरी पर्यावरण गीत)

    जइसे तड़पेले जल बिना मछरी ना हो |
    तड़पे छतिया धरती पेड़वा बिना |
    गावे ना गोरिया सावन बिना कजरी ना हो |
    सतावे बरखा रतिया गोरी सजना बिना |

    महल अटारी मिलवा बनवले वनवा उजारी |
    पेड़वा के काटी काटी धरती दिलवा दुखाई |
    बरसेला बदरा कबों दुनिया ना हो पेड़वा बिना |

    बाची कईसे धरती पेड़वा ना लउके कही |
    जीव जन्तु पशु पक्षी बचावे जान भऊके कही |
    बची ना धरती अब आदमी के जतिया ना हो
    पेड़वा बिना |

    चीरइ क चह चह कोइलर कुहु ना सुनाला कही |
    झरना क झर झर पवनवा सर सर ना दिखाला कही |
    जिये खातिर मिले नाही हवा नकिया ना हो ,
    पेड़वा बिना |

    चाही हरियाली यदी धरती पेड़वा लगावा सभे |
    जल जंगल जमीन मिली परती बचावा सभे |
    मिलीहें ठंडी ठंडी पवन पुरवईया ना हो ,
    पेड़वा बिना |

    जइसे तड़पेले जल बिना मछरी ना हो |
    तड़पे छतिया धरती पेड़वा बिना |
    श्याम कुँवर भारती (राजभर)

    पेड़ पूर्वज पौध प्रिय संतान है

    पेड़ पूर्वज, पौध प्रिय संतान है।
    सिद्धकृत अध्यात्म है, विज्ञान है।।

    सभ्यता-शैशव पला मृदु छाँव में,
    कंद-फल संपन्न तरु के गाँव में।
    स्नेह-शाखाएँ बनी आवास थीं,
    मूलतः थी शक्ति-गहरी,पाँव में।।
    प्राण का आदिम यही रस पान है…

    वन धरा का साज है श्रृंगार है ,
    प्राणियों के हित इला का प्यार है।
    है नियंता शुद्धतम जलवायु का,
    सृष्टि का अनमोल यह उपहार है।।
    यह नहीं तो,भाँति किस उत्थान है?

    तरु-लताओं का अमोलक दान है,
    किंतु हमने क्या दिया प्रतिदान है?
    काटते हैं शीश उस आशीष का,
    प्राण का जिससे मिला वरदान है।।
    लोभ से अंधा,बधिर अब ज्ञान है।

    पौधरोपण का चलो अब प्रण करें’
    वन्य -अभयारण्य स़ंरक्षण करें।
    शस्य से हो यह धरित्री श्यामला,
    श्रम अहर्निश विश्व के जन-गण करें।
    लक्ष्यगामी कर्म ही अभियान है।

    पेड़ पूर्वज, पौध प्रिय संतान है।
    सिद्धकृत, अध्यात्म है, विज्ञान है।

    रेखराम साहू

    पेड़ भाई पर कविता

    धरती में जन्मे ….आदमी
    धरती में उगे ….पेड़
    सगे भाई हुए न…..!

    धरती ने माँ का फर्ज निभाया…
    पेड़ों ने भी न रखा बकाया…
    पर आदमी..औकात पर उतार आया
    माँ का दामन बाँट दिया..
    भाई का सर काट दिया…
    धरा की छाती छलनी कर् दी..
    जंगलों को जहर बांटे…
    इंसानी फितूर ने…
    सदा भाइयों के हाथ -पैर काटे….!!!!

    दरअसल गलती आदमी की भी नहीं
    खुदा ने उसे ..मुंह ऐसा दिया कि…
    कुत्ते सा भौंके और काटे भी !
    जिन्दगी बख्शने वाले भाई के
    कुनबे में जहर बांटे भी..?!
    पेर ऐसे दिए कि…..पल भर में
    वामन की तरह संसार नाप ले..
    दिमाग लोमड़ी की तरह कि….
    दूसरों का सुख -सार टॉप ले..!
    जीभ दिया सुवर सा कि…
    जहां भर की गंदगी खाके पचा जाए..
    टोक दो कि रोक दो तो…
    दुनिया की जान खा जाए…!?!

    वृक्ष बन्धु ने पर..सदा बांटा
    मौत के बदले …जिंदगी,
    आदि से अंत तक कर दी
    आदमी की बंदगी…

    धरा की कोख से जनते ही
    दातुन-दोना-पत्तलों में
    फिर खिलौनों -खाट और सामान बन गया,
    सूरज की आग और
    इंद्र के बज्र से
    आसमानी कहर से बचाने आदम के सर तन गया,,
    छत बना, घर बना, भोजन-भाजन-शयन बना
    जिंदगी भर काम आया
    फिर मरा जब आदमी तो
    घर से घाट तक
    और आखिर में साथ जलकर स्वर्ग तक भी..!!

    आदमी यदि हरित बन्धु का
    क़त्ल तू करता रहेगा…
    धरा औ आकाश बीच
    कार्बन भरता रहेगा…
    जिंदगी चैन की साँसे
    कभी न ले सकेंगी …!
    विश्व की प्राण वायु
    विष विष विष हो चलेगी…।

    तब फिर उगेंगे ये धरा की कोख से
    जिंदगी को जान देने
    विष के प्रकोप से…
    ये हवा का विष को काट
    खुद को नेस्तनाबूद करने वालों को
    जीवन बांटेंगे…..
    जिस तरह आदम
    नहीं छोड़ेगा अपनी फितरत,..
    पेड़ भी न छोड़ेगा
    प्राण वायु देने की नियामत..।

    बेचारे पेड़ भाई
    सुख में दुःख में
    जीने मरने में शामिल..
    आदमी के काम आ फुला नहीं समाता,
    पर ..तब,..क्रोधित हो जाता है
    जब कागजों औ भाषणों में
    ऊसे जनता है आदमी..
    राष्ट्रिय कोषों को हड़पने
    भगवा पहन,अगुवा बनता है आदमी…
    टोपी,कुर्सी,वर्दी की जेब भरने
    देश जन की छाती में
    गढ़े खनता है आदमी..!
    उनके लिए प्राण वायु की जगह
    विष उगल देगा पेड़…खोकर धैर्य…।।।

    डॉ0दिलीप गुप्ता

  • धाकड़ मनु भाकर / शिवराज चौहान, हरियाणा

    धाकड़ मनु भाकर / शिवराज चौहान, हरियाणा

    मनु भाकर एक भारतीय शूटर हैं जिन्होंने अपनी युवा उम्र में ही राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शूटिंग में कई उपलब्धियाँ हासिल की हैं। उनका पूरा नाम मनु भाकर है और वह हरियाणा, भारत से ताल्लुक रखती हैं। उन्होंने पिस्टल शूटिंग इवेंट्स में भारत का प्रतिनिधित्व किया है।

    धाकड़ मनु भाकर/ शिवराज चौहान, हरियाणा

    हरियाणा की छोरी तन्नैं,
    कर दिया कमाल।
    जग में ऊंचा ठा दिया,
    भारत मां का भाल।।

    खानपुर पास जिला झज्जर मैं,
    खास ‘गोरिया’ गांम।
    ‘मनु भाकर’ नैं लगा निशाना,
    बड़ा कमाया नाम।।
    पाया जल्द मुकाम,
    जहां पर लगते सालों साल…

    छोटी गुड़िया की आंखों में,
    सपने बड़े-बड़े थे।
    सपनें संजोनें में अपने,
    हरदम साथ खड़े थे।।
    बुरे वक्त को भी सब ने,
    हंस के दिया निकाल…

    मां की पूजा, प्यार पिता का,
    बड़कों का आशीष।
    गुरु ज्ञान और किरपा बरसे,
    बजरंग, मथुराधीश।।
    पूरा देश दुआएं देता,
    कर कर आज धमाल…

    टोकियो मैं पिस्टल बिगड़ी,
    रह गई आश अधूरी।
    इबकै इस जिद्दण छोरी नै,
    कसर काढ दी पूरी।।
    तिरंगा🇮🇳 पेरिस फहराया,
    दो-दो मैडल डाल…
    हरियाणा की छोरी तन्नै,
    कर दिया कमाल…

    # शिवराज सिंह चौहान ,प्राचार्य , श.जीतराम रा. माॅ. सं. व. मा. वि.नाहड़, रेवाड़ी (हरियाणा)

    धाकड़ मनु भाकर / शिवराज चौहान, हरियाणा

    आइए मनु भाकर एक भारतीय शूटर के बारे में विस्तार से जानें:

    प्रारंभिक जीवन

    • जन्म: मनु भाकर का जन्म 18 फरवरी 2002 को हुआ था।
    • गृहनगर: झज्जर, हरियाणा।
    • शिक्षा: उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा हरियाणा के गोरिया गाँव के स्कूल से पूरी की।

    करियर की शुरुआत

    • मनु भाकर ने 2017 में शूटिंग करियर की शुरुआत की।
    • उन्होंने जल्द ही राष्ट्रीय शूटिंग प्रतियोगिताओं में अपनी पहचान बनाई और अपने प्रदर्शन के लिए प्रशंसा प्राप्त की।

    उपलब्धियाँ

    1. राष्ट्रीय खेल: मनु ने 2017 में राष्ट्रीय खेलों में अपना पहला स्वर्ण पदक जीता।
    2. विश्व कप: उन्होंने 2018 में आईएसएसएफ वर्ल्ड कप में स्वर्ण पदक जीता, जिससे वह सबसे कम उम्र की भारतीय शूटर बनीं जिन्होंने यह उपलब्धि हासिल की।
    3. युवा ओलंपिक खेल 2018: मनु ने युवा ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता, जो इस प्रतियोगिता में भारत के लिए पहला था।
    4. एशियाई खेल: उन्होंने 2018 एशियाई खेलों में भी भाग लिया और मिश्रित टीम स्पर्धा में पदक जीता।

    विशेषताएँ

    • घरेलू प्रतियोगिताएं: मनु ने भारतीय राष्ट्रीय शूटिंग चैंपियनशिप में भी कई पदक जीते हैं।
    • प्रशिक्षण: वह अपनी सटीकता और फोकस के लिए जानी जाती हैं, और उनके कोचिंग स्टाफ में प्रसिद्ध प्रशिक्षक शामिल हैं।

    व्यक्तित्व

    • मनु भाकर अपने अनुशासन, दृढ़ संकल्प और सटीकता के लिए जानी जाती हैं।
    • वह युवा एथलीटों के लिए एक प्रेरणा स्रोत हैं और उन्होंने भारतीय खेलों में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा दिया है।

    मनु भाकर ने न केवल भारत में बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी भारतीय शूटिंग को एक नई पहचान दिलाई है। उनका योगदान और सफलता भारतीय खेल समुदाय में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है। उनकी कहानी युवाओं को अपने सपनों को साकार करने के लिए प्रेरित करती है।

  • मैं जीने लगी

    मैं जीने लगी

    मैं जीने लगी

    Hindi Poem ( KAVITA BAHAR)

    वक्त का सरकना
    और उनके पीछे
    मेरा दौड़ना
      ये खेल निरन्तर
       चल रहा है
    कहाँ थे और
    कहाँ आ गये।
       कलेन्डर बदलता रहा
       पर मैं यथावत
    जीने की कोशिश
    भागंमभाग जिन्दगी
        कितना समेटू
    मैं जीवन रुपी जिल्द
    संवारती रही, और
    पन्ने बिखरते गये।
       एक कहावत सुनी
    और जीवन सुखी हो गया
    आप सब भी सुनिए
    जब दर्द और कड़वी गोली
    सहन होने लगे
      समझो जीना आ गया
    और मैं जीने लगी।

    *मधु गुप्ता “महक”*

  • आंसू पर कविता

    आंसू पर कविता

    आंसू पर कविता

    आंसू पर कविता
    HINDI KAVITA || हिंदी कविता

    दर्द जब पिघलता है तो
    बह आते हैं आँसू
    सुख में हों या हो दुख में
    रह जाते हैं आँसू

    विकट वेदना पीर बहे
    आघातों के तीर सहे
    कंपित अधरें मौन रहे
    गूंगी वाणी व्यथा कहे

    सूनी सूनी  पलकों पर
    हिमकण जम जाते हैं आँसू

    वेदना जब गीत गाती
    कोख पीड़ा की भर जाती
    विदीर्ण होते हृदय तार
    जब आबरू लूट जाती

    बोझिल हृदय जीवन व्यर्थ
    पर्वत बन जाते हैं आँसू

    बूढ़े सपने सच होते
    सुख मंजिल ही पथ होते
    काँटों से चुने प्रसून 
    शोभित विजयी रथ  होते

    विस्मित अधरों पर होते
    तोरण बन जाते हैं आँसू

    सुधा शर्मा
    राजिम छत्तीसगढ़
    4-1-2019

  • वर्ल्ड जूनोसिस डे पर नारे

    वर्ल्ड जूनोसिस डे पर नारे

    वर्ल्ड जूनोसिस डे हर साल 6 जुलाई को मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य जूनोटिक रोगों (पशुओं से मनुष्यों में फैलने वाले रोग) के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। यह दिन लुई पाश्चर द्वारा पहली सफल रेबीज वैक्सीन का परीक्षण करने की वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है। जूनोसिस रोगों को रोकने के लिए अच्छे स्वच्छता उपाय, पशुओं का टीकाकरण और उचित पशु चिकित्सा देखभाल महत्वपूर्ण हैं।

    वर्ल्ड जूनोसिस डे पर नारे

    वर्ल्ड जूनोसिस डे पर नारे

    जूनोसिस दिवस आया है।

    जागरूकता का संदेश लाया है।।

    स्वच्छता का पालन करके, स्वास्थ्य को अपनाना है,  

    पशु चिकित्सा का ख्याल रख, रोगों को दूर भगाना है।

    लुई पाश्चर की याद में, ये दिवस मनाया जाता है,  

    रेबीज वैक्सीन , एक महान खोज बताया जाता है।

    मिलकर सब संकल्प करें, स्वस्थ समाज बनाएंगे,  

    जूनोटिक रोगों को हराकर, खुशहाली को लाएंगे।

    स्वास्थ्य और सुरक्षा के पथ पर, आगे बढ़ते जाएंगे,  

    इस जूनोसिस दिवस पर, एक नया कदम उठाएंगे।

    जूनोसिस से लड़ने का, सबको पाठ पढ़ाना है,  

    जानवरों से दूरी रख, स्वस्थ जीवन अपनाना है।

    हर पशु की सेहत पर, ध्यान हमें देना होगा,  

    पशु टीकाकरण ही, एक सुरक्षा घेरा होगा।

    गांवों से लेकर शहरों तक, संदेश हमें फैलाना है,  

    जूनोसिस रोग खत्म कर, स्वस्थ समाज बनाना है।

    संजीवनी बने यह दिवस, मन में विश्वास जगाए,  

    पशु-मानव के बीच प्रेम हो, रोगों को दूर भगाए।

    जागरूकता के दीप जलाकर, अज्ञानता को मिटाना है,  

    जूनोसिस मुक्त संसार का, सपना हमें साकार करना है।

    मिलकर चलें इस राह पर, हाथों में हाथ मिलाएं,  

    वर्ल्ड जूनोसिस डे पर हम, नई दिशा दिखलाएं।