ये आम अनपढ़ बावला है कविता संग्रह दुर्व्यवस्था देख,क्या लाचार सा रोना भला है।क्या नहीं अब शेष हँसने की रही कोई कला है।शोक है उस ज्ञान पर करता विमुख पुरुषार्थ…
प्रकृति का इंसाफ पर कविता कायनात में शक्ति परीक्षा,दिव्य अस्त्र-शस्त्र परमाणु बम से |सारी शक्तियां संज्ञा-शून्य हुई ,प्रकृति प्रदत विषाणु के भ्रम से |अटल, अविचल, जीवनदायिनी ,वसुधा का सीना चीर…
कवियों की आपबीती पर कविता शीश महल की बात पुरानी,रजवाड़ी किस्से जाने।हम भी शहंशाह है, भैया,शीश पटल के दीवाने।आभासी रिश्तों के कायल,कविताई के मस्ताने।कर्म विमुख साधो सा जीवन,अरु व्याकरणी पैमाने।कुछ…
सखी के लिए कविता - डॉ0 दिलीप गुप्ता रिमझिम बरसे.मन है हरसेप्रणय को ब्याकुल हिरदय होवे,सात समंदर पार है सजनीबिरह में बदरा-मेघा रोवे.....तप्त हृदय की अगन बुझाने-----आओ न सखी.. आओ…