हम उजाला जगमगाना चाहते हैं -केदारनाथ अग्रवाल

हम उजाला जगमगाना चाहते हैं -केदारनाथ अग्रवाल

morning
प्रातःकालीन दृश्य


हम उजाला जगमगाना चाहते हैं
अब अँधेरे को हटाना चाहते हैं।


हम मरे दिल को जिलाना चाहते हैं,
हम गिरे सिर को उठाना चाहते हैं।


बेसुरा स्वर हम मिटाना चाहते हैं।
ताल-तुक पर गान गाना चाहते हैं।

हम सबों को सम बनाना चाहते हैं।
अब बराबर पर बिठाना चाहते हैं।


हम उन्हें धरती दिलाना चाहते हैं,
जो वहाँ सोना उगाना चाहते हैं।

केदारनाथ अग्रवाल

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