मिट्टी से प्यार करो अनुच्छेद370
देखो जरा उन चेहरों को जो,
दुश्मन की बोली बोल रहे हैं…
अलगाव-वाद फैलाने वाले,
*क्यूँ जहर फिजा में घोल रहे हैं..
जब देश समूचा झूम रहा है,
फिर ये क्यूँ बौखलाए हुए हैं…
भोली जनता को डसने वाले,
*वे फन अपना फैलाए हुए हैं..
एक देश और एक ही झंडा,
लहराएगें हर जगह तिरंगा…
जो अमन चैन के दुश्मन हैं वे,
*चाहेंगे फिर हो जाए दंगा…
आतंकवाद के साए में ही,
दुकानदारी इनकी चलती है..
कितने जवान कुर्बान हो गए,
*माँ-बहनें घुट-घुटकर मरती है…
जरा पूछो तो उन चेहरों से,
क्या यही उनकी वफादारी है…
बीज अलगाव के बोने वाले,
यह तो वफा नहीं गद्दारी है…
भारत के ही वासिंदे होकर,
भारत भू पर ही मत वार करो…
अब बंद करो नफरत की खेती,
तुम भी इस मिट्टी से प्यार करो…
केतन साहू “खेतिहर”
बागबाहरा, महासमुंद (छ.ग.)
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