जीवन में अनमोल है जल
जल से उत्पत्ति जीवन की,
निर्मित जल से, ब्रम्हाण्ड सकल
जीवन में अनमोल है जल |
निर्मल, निश्छल बहती धारा,
मीठा कहीं, कहीं जल खारा,
जिस पर आश्रित संसार
विविध स्रोत मिलती जलधार
झर-झर झरता है झरने से, ऊँचे पर्वत रहता जल |
जीवन में अनमोल है जल |
नदियों में जल बहता रहता,
झीलों से कुछ कहता रहता,
कूप, बावली, तालाबों में,
सारे मौसम सहता रहता,
दूर तलक फैले सागर में, चलती रहती उथल-पुथल |
जीवन में अनमोल है जल |
पर्वत पर जाकर जम जाता,
कहीं ग्लेशियर बन भरमाता,
वाष्प बने, उड़ जाये ऊपर,
बारिश बन धरती पर आता,
प्यासी-प्यासी वसुधा को, जल, पल भर में करे सजल |
जीवन में अनमोल है जल |
– उमा विश्वकर्मा, कानपुर, उत्तरप्रदेश