जो भारत विरोधी नारा लगाते
“जो भारत विरोधी नारा लगाते”
अपनी भारत माता डरी हुई ,
वो कुछ भी नही कह पाती है ।
अपने कुछ गद्दारों के कारण,
मन ही मन वो शर्माती है ।।
पाल पोस कर बडा किया,
इसकी आँगन मे ही खेले ।
वो पिला रही थी दूध जिन्हें,
पर निकले वही हैं जहरीले ।।
इन्हीं जयचंदों के कारण ,
मुगलों ने हम पर राज किया।
इनसे बचा-खुचा जो था ,
अंग्रेजों ने इसे बरबाद किया ।।
इन्हीं नमक हरामों के कुकृत्यों पर,
अंदर बहुत ही वह रो रही है ।
ऎसे पापियों को न चाहकर भी,
आज तक इन्हें ढो रही है ।।
इसे गर्व है उन वीर सपूतों पर,
जो प्राण न्योछावर कर देते।
जो बुरी नजर डाले इस पर,
वे प्राण ही उनका हर लेते ।।
इसे गर्व है उन वीर जवानों पर,
जो शरहद की है शान बढाते ।
अपने दुखों को भूलकर भी,
जो शान से तिरंगा हैं लहराते ।।
इसे गर्व है उन देशवासियों पर,
जो जान की बाजी लगाते हैँ।
जो देश प्रेम के रस मे डूबे,
दुनिया मे देश का नाम बढाते हैं ।।
इसे गर्व है उन बेटियों पर,
जो इसकी शोभा को बढाती हैं ।
ईज्जत पर जब आँच आये तब,
वे दुर्गा काली बन जाती हैं ।।
पर इसकी आत्मा है चित्कारती,
उन देशद्रोहियों के कारण ।
जो भारत विरोधी नारा लगाते,
और अशांति फैलाते अकारण ।
कुछ गद्दारों के कुकर्मों से,
इसे घबराने वाली कोई बात नही ।
जिसकी कोटि कोटि औलादें हैं,
जो तलवारों के साथ खड़ीं ।।
देशद्रोहियों को सबक सिखाने,
हर एक देशभक्त तैयार है ।
जो भी इनका साथ दे रहे,
उन पर भी करना प्रहार है ।।
जो भी इनका साथ दे रहे,
उन पर भी करना प्रहार है ।।
मोहन श्रीवास्तव
कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद