संविधान पर कुंडलियाँ- डिजेन्द्र कुर्रे
साधक थे संविधान के,
रचकर नव इतिहास।
संविधान के नाम से,
जाहिर जिनका नाम।
जाहिर जिनका नाम,
हिंद ही सब कुछ माने।
बढ़े देश का मान ,
मर्म यह ही पहचाने ।
कह डिजेन्द्र करजोरि,
नहीं अब कोई बाधक।
देश किया मजबूत,
भारती का बन साधक।।
डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”