कवि निमंत्रण पर कविता
मित्रों तुम आना
आज मेरी कविता पाठ है
कविता पाठ के बाद
तुम्हारे आने-जाने का खर्चा दूँगा
शाम को पार्टी होगी
मिलकर जश्न मनाएंगे
जैसे हर बार मनाते हैं
बस एक गुज़ारिश है
महफ़िल में
जब मैं कविता पढूँगा
मेरी हर पंक्तियों के बाद
तुम सभी एक साथ
वाह- वाह जरूर कहना
कविता पढ़ने के बाद
जब मैं धन्यवाद बोलूँ
तुम ज़ोरदार तालियां बजाना
वैसे तुम सभी अभ्यस्त हो
‘वाह-वाह’ और ‘तालियों’ का महत्त्व
भलीभांति जानते हो
मुझे पता है
तुम जरूर आवोगे
मना नहीं करोगे
क्योकि हम सभी कवि मित्र हैं
हम एक दूसरे के जरूरत हैं
कल तुम्हे भी तो मेरी ज़रूरत होगी
मैं भी तो वही करूँगा
जो तुम मेरे लिए करोगे
इसलिए हे कवि मित्र !
मेरा निमंत्रण स्वीकार करना
तुम जरूर आना
यह धमकी नहीं
मेरा निवेदन है।
— नरेन्द्र कुमार कुलमित्र
9755852479