लाचार शिक्षण
शिक्षण में कोरोना बैठा,
ऐसा भय दिखलाते हैं।
बिना मास्क रैली धरनों को,
रोक नहीं ये पातें हैं।।
बिना परीक्षा पास न होंगे,
ये आदेश सुनाया है।
पढ़ना और पढ़ाना केवल,
आनलाईन ही आया है।।
बिना पढ़े गृह कार्य कराना,
नासमझी की बातें हैं।।
शिक्षण में कोरोना वैठा,
ऐसा भय दिखलाते है।।
छुपकर शिक्षक लगे पढ़ाने,
घर अभ्यास बहाना है।
गुरू शिष्य ऐसे मिलते हैं,
जैसे चोर गहाना* है।।
सीढ़ी दो-दो साथ चढ़ाना,
बाधा क्यों अपनाते हैं?
बिना मास्क रैली धरनों को,
रोक नहीं ये पाते है।।
कैसा आया समय अनौखा,
पढना पड़ता चुपके से।
दर-दर ढूँढ छात्र को गुरूवर,
शिक्षण देते दुबके से।।
लानत लचर व्यवस्था पर है,
गीत उसी का गाते हैं।
शिक्षण में कोरोना बैठा,
ऐसा भय दिखलाते हैं।।
हलधर राजनीति में उलझे,
उलझी अब सरकारें हैं।
कोरोना के नियम कायदे ,
जैसे अब तो हारे हैं।।
फिर विद्यालय बंद रहे तो,
समझ नहीं कुछ पाते हैं।
बिना मास्क रैली धरनों को,
रोक नहीं ये पाते हैं।।
(*गहाना =पकड़ना)
- - - - रमेश शर्मा
खण्डार, सवाईमाधोपुर, राज.
9772613850 : 8/12/2020
अति उत्तम एवं यथार्थ सृजन
अतिसुंदर रचना 💐💐🎂👌🙏
ATI Sundar