निर्भया न्याय दिवस पर कविता
सन् दो हजार बीस,बीस मार्च रहा अनुपम।
स्वर्णिम दिन है आज,शांत मन तन है शुद्धम।
हुई न्याय की जीत,निर्भया तेरी जय हो।
दुराचार का अंत,सजा देना अब तय हो।
सात साल के बाद में,फाँसी में झूले सभी।
अब हो नहीं समाज में, फिर ऐसी घटना कभी।
सुकमोती चौहान रुचि
बिछिया ,महासमुन्द,छ.ग.
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