कुण्डलिया छंद [विषम मात्रिक] कैसे लिखें

कुण्डलिया छंद [विषम मात्रिक] विधान – दोहा और रोला को मिलाने से कुण्डलिया छंद बनता है जबकि दोहा के चतुर्थ चरण से रोला का प्रारंभ होता हो (पुनरावृत्ति) तथा प्रारंभिक शब्द या शब्दों से ही छंद का समापन हो (पुनरागमन) l दोहा और रोला छंदों के लक्षण अलग से पूर्व वर्णित हैं l कुण्डलिया छंद … Read more

विष्णुपद छंद [सम मात्रिक] कैसे लिखें

विष्णुपद छंद [सम मात्रिक] विधान – 26 मात्रा, 16,10 पर यति, अंत में वाचिक भार 2 या गा l कुल चार चरण, क्रमागत दो-दो चरण तुकांत l उदाहरण :अपने से नीचे की सेवा, तीर-पड़ोस बुरा,पत्नी क्रोधमुखी यों बोले, ज्यों हर शब्द छुरा। बेटा फिरे निठल्लू बेटी, खोये लाज फिरे,जले आग बिन वह घरवाला, घर पर … Read more

रूपमाला/मदन छंद [सम मात्रिक]

रूपमाला/मदन छंद [सम मात्रिक] विधान – 24 मात्रा, 14,10 पर यति, आदि और अंत में वाचिक भार 21 गाल l कुल चार चरण , क्रमागत दो-दो चरणों में तुकांत l उदाहरण :देह दलदल में फँसे हैं, साधना के पाँव,दूर काफी दूर लगता, साँवरे का गाँव lक्या उबारेंगे कि जिनके, दलदली आधार,इसलिए आओ चलें इस, धुंध … Read more

त्रिभंगी छंद [सम मात्रिक]

त्रिभंगी छंद [सम मात्रिक] विधान – 32 मात्रा, 10,8,8,6 पर यति, चरणान्त में 2 गा l कुल चार चरण, क्रमागत दो-दो चरण तुकांत l पहली तीन या दो यति पर आतंरिक तुकांत होने से छंद का लालित्य बढ़ जाता है l तुलसी दास जैसे महा कवि ने पहली दो यति पर आतंरिक तुकान्त का अनिवार्यतः … Read more

सार छंद [सम मात्रिक]

सार छंद [सम मात्रिक] विधान – 28 मात्रा, 16,12 पर यति, अंत में वाचिक भार 22 गागा l कुल चार चरण, क्रमागत दो-दो चरण तुकांत l उदाहरण :कितना सुन्दर कितना भोला, था वह बचपन न्यारा,पल में हँसना पल में रोना, लगता कितना प्यारा। अब जाने क्या हुआ हँसी के, भीतर रो लेते हैं, रोते-रोते भीतर-भीतर, … Read more