किसान दिवस पर कविता (23 दिसम्बर)
तुझे कुछ और भी दूँ ! रामअवतार त्यागी तन समर्पित, मन समर्पित और यह जीवन समर्पित चाहता हूँ, देश की धरती तुझे कुछ और भी दूँ! माँ! तुम्हारा ऋण बहुत है, मैं अकिंचन किंतु इतना कर रहा फिर भी निवेदन,…
तुझे कुछ और भी दूँ ! रामअवतार त्यागी तन समर्पित, मन समर्पित और यह जीवन समर्पित चाहता हूँ, देश की धरती तुझे कुछ और भी दूँ! माँ! तुम्हारा ऋण बहुत है, मैं अकिंचन किंतु इतना कर रहा फिर भी निवेदन,…
आज सिंधु में ज्वार उठा है आज सिंधु में ज्वार उठा है, नगपति फिर ललकार उठा है, कुरुक्षेत्र के कण-कण से फिर, पांचजन्य हुंकार उठा है। शत-शत आघातों को सहकर, जीवित हिंदुस्तान हमारा, जग के मस्तक पर रोली-सा, शोभित हिंदुस्तान…
हम सब भारतवासी हैं निरंकारदेव ‘सेवक’ हम पंजाबी, हम गुजराती, बंगाली, मदरासी हैं, लेकिन हम इन सबसे पहले केवल भारतवासी हैं। हम सब भारतवासी है ! हमें प्यार आपस में करना, पुरखों ने सिखलाया है, हमें देश-हित, जीना मरना पुरखों…
बाल-दिवस पर कविता आ गया बच्चों का त्योहार/ विनोदचंद्र पांडेय ‘विनोद’ सभी में छाई नयी उमंग, खुशी की उठने लगी तरंग, हो रहे हम आनन्द-विभोर, समाया मन में हर्ष अपार ! आ गया बच्चों का त्योहार ! करें चाचा नेहरू…
गरीबी उन्मूलन दिवस पर कविता गरीबी से संग्राम आचार्य मायाराम ‘पतंग’ चलो साथियों! हम सेवा के काम करें। आज गरीबी से जमकर संग्राम करें। यह न समझना हमें गरीबी थोड़ी दूर हटानी है। अपने आँगन से बुहारकर नहीं पराए लानी…