यहां पर कवियत्री डॉ मनोरमा चंद्रा रमा द्वारा रचित कविता श्रीनाथ की स्तुति आपके समक्ष प्रस्तुत है
श्री नाथ की स्तुति
स्तुति कर श्री नाथ की, कृपा मिले भगवंत।
कण-कण ईश विराजते, उनका आदि न अंत।।
मिले प्रशंसा खास तो, रहना शुक्र गुजार।
नम्र भावना से सदा, करें प्रकट आभार।।
ध्यान धरे मन अर्चना, स्तुति पावन भाव।
भक्ति भाव अंतस जगे, जीवन चलती नाव।।
सदा स्तुत्य मानकर, बड़े करो सत्कार।
उनके आशीर्वाद से, मिले प्रशंसा सार।।
प्रात शाम स्तुति करो, मिटे देह संताप।
हृदय भाव निर्मल रखे, करो राम का जाप।।
ईश्वर स्तुति पुंज से, कटे जनम का पाप।
रोग, दोष, इससे मिटे, मिलते पुण्य प्रताप।।
जो होते हैं पूज्य अति, रखना उन पर आस।
अंतर्मन से कर विनय, जीवन भरे उजास।।
आदर सबका नित करें, मन में रखें न खेद।
यह जग ही स्तुत्य है, करें नहीं जन भेद।।
विद्या धन की लौ जले, मन मंदिर में जान।
स्तुति है माँ शारदे, मिले सदा ही ज्ञान।।
प्रात शाम स्तुति करो, सजग करें अभ्यास।
कहे रमा ये सर्वदा, भरे हृदय उल्लास।।
~ डॉ. मनोरमा चन्द्रा ‘रमा’ रायपुर (छ.ग.)