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  • महिमा वीर नारायण के

    महिमा वीर नारायण के

    महिमा वीर नारायण के ये,जे भुइँया म भारी जी।
    सोनाखान हवय हमरो ,बलिदानी के चिन्हारी जी।

    जन-जन के हितवा बनके,जे बेटा बिताईन जी।
    धन के लोभी छलिया मन ल,निसदिन यही सताइन जी।
    माल खजाना लूट लूट के, निर्धन मन ल दान करे।
    भांज अपन तलवार ल मेंछा,म साहस के ताव भरे।
    ममता दया करे जेकर बर, छत्तीसगढ़ महतारी जी।
    सोनाखान हवय हमरो ,बलिदानी के चिन्हारी जी।

    नाम अमर हे बलिदानी के,छत्तीसगढ़ परिपाटी म।
    आज भी जेहर हवय बिराजे,ये भुइँया के माटी म।
    सोनाखान धरा के धुर्रा,पबरित जइसे चंदन हे।
    बलिदानी के ये महिमा ल,कोहिनूर के वंदन हे।
    कल बलिदानी लड़ीस न्याय बर,अब हे हमरो पारी जी।
    सोनाखान हवय हमरो ,बलिदानी के चिन्हारी जी।

    वीर नारायण लड़ीस न्याय बर,अब हे हमरो पारी जी।
    सोनाखान हवय हमरो ,बलिदानी के चिन्हारी जी।

    डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”

  • तरी हरी नाना मोर नरी हरी नाना रे सुवाना

    तरी हरी नाना मोर नरी हरी नाना

    तरी हरी नाना मोर नरी हरी नाना रे सुवाना।
    पिया ला सुना देबे मोर गाना तरी हरी नाना।

    बेर उथे फेर , बेरा जुड़ाथे,
    रातके मोरे नीदियां उड़ाथे,
    अतक मया, मय काबर करें
    जतक करें ओतक तरसाथे।
    डाहर बैरी के देखत सुवाना
    जान डारिस सारा जमाना।
    तरी हरी नाना मोर नरी हरी नाना रे सुवाना।

    भेंट होय रटीघटी, मुच ले हासें।
    धीरे धीरे आपन जाल मा फासें।
    कोन जानी काय ,मंतर मारे
    आवत कि भर जाए सांसें।
    निरमोही के जोग बता सुवाना
    कैसे डालिस मया के बाना।
    तरी हरी नाना मोर नरी हरी नाना रे सुवाना।

    मनीभाई नवरत्न

  • गौ सिरतोन ईमान

    गौ सिरतोन ईमान

    जबले मारे गोरी नैइना के बान।
    जीना मोर होगे कठिन हो गय परेशान ।
    (गौ सिरतोन ईमान) x 2
    ले गय मोर जान गौ सिरतोन ईमान.

    मय नइ आये पाछु ,सुनले बेईमान ।
    मया करे बर तय हो गय अघुआन ।

    (गौ सिरतोन ईमान) x 2
    ले गय मोर जान गौ सिरतोन ईमान.

    ए…. रातभर तोरे, फोटूएडिट करव .
    बस तोरे संग , मय चैटिंग करव ।
    खुश रहस तय अऊ का चाहिये मोला
    तोरे बर ही तो, बाल सेटिंग करव ।
    तय मोर शान गोरी तय ही मोर गुमान।
    संग तोरे रिहो सदा देवतहो जुबान।
    कोरस…… ऐ आ

    हाँ.

    हाथ भर भर ले,मेंहदी रचा लेवव।
    बस तोरे नांवके, गोदना गोदा लेवव।
    खुश रहस तय अउ का चाहिये मोला
    तोरे बर ही तो, काजर लगा लेवव।
    तय मोर पिरित साथी तय ही मोर परान।
    बरत रह

    कोरस…… ऐ आ

    तोर मोर जोही संगी ,जइसे धनुष बान।

    (गौ सिरतोन ईमान) x 2
    ले गय मोर जान गौ सिरतोन ईमान.

  • मोला मया हे तोर से बड़ रे

    ए देखत कि तोला
    का होगै मोला।
    मोर जिया करे फड़ फड़ रे।
    मोला मया हे तोर से बड़ रे।

    जहां जावा तोला पावा
    तोर पाछु मय ह आवा।
    का सुनावा, का बतावा रे।
    तोर मोहनी सूरत देखके
    मयतो मरमरजावा रे।
    तोर सुरता ऐसे लागे
    मैं ठहरो बेरा भागे।
    मोर काम बुता नई होवे रीता
    हो जाथे गड़बड़ रे।
    मोला मया हे तोर से बड़ रे।

  • गुरू घासीदास जी पर हिंदी कविता

    गुरू घासीदास छत्तीसगढ़ राज्य के रायपुर जिले के गिरौदपुरी गांव में पिता महंगुदास जी एवं माता अमरौतिन के यहाँ अवतरित हुये थे गुरू घासीदास जी सतनाम धर्म जिसे आम बोल चाल में सतनामी समाज कहा जाता है, के प्रवर्तक थे। विकिपीडिया

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    महान व्यक्तित्व पर हिन्दी कविता

    गुरू घासीदास जी पर हिंदी कविता

    चलसंगी गुणगान गाबो, घांसीबबा के।
    गुरु के नांव बगराबो, सतनाम के।

    गिरौदपुरी के नाम हे, देशबिदेश म।
    पंथ चलतहे ईहां, गुरुआदेश म।
    अमृत कुंड के पानी, देथे जिनगानी ।
    सुग्घर धाम एहर, छत्तीसगढ़ प्रदेश म।
    चल संगी आशीष पाबो, बाबाधाम के।
    गुरु के नांव बगराबो, जै सतनाम के।

    मनखे मनखे एके ये, गुरु संदेश म।
    ऊंच नीच दूर होथे, जेकर उपदेश म।
    मिलजुल रहना हे, बबा के कहना ये।
    नई उलझ साथी, अब दुख कलेश म।
    पिरित भाव जगाबो, जे हावे काम के।
    गुरु के नांव बगराबो, जै सतनाम के।