नज़्म – मुझे समझा रही थी वो

मुझे समझा रही थी वो बहुत मासूम लहजे में, बड़े नाज़ुक तरीके सेमेरे गालों पे रखके हाथ समझाया था उसने येसुनो इक बात मानोगे,अगर मुझसे है तुमको प्यार,तो इक एहसान कर देनाजो मुश्किल है,मेरी ख़ातिर उसे आसान कर देना…अब इसके…

नारी पर दोहे- डिजेन्द्र कुर्रे”कोहिनूर”

नारी पर दोहे ★★★★नारी की यशगान हो ,नारी की ही रूप ।नारी के सहयोग से,मिलते लक्ष्य अनुप।। नारी बिन कब पूर्ण है?एक सुखी परिवार।नारी जो सुरभित रहे, सुखी रहे संसार।। जग में जो करता नहीं , नारी का सम्मान।कहलाये वह…