रसीले आम पर कविता – सन्त राम सलाम

🥭रसीले आम पर कविता🥭 रसीले आम का खट्टा मीठा स्वाद,बिना खाए हुए भी मुंह ललचाता है।गरमी के मौसम में अनेकों फल,फिर भी आम मन को लुभाता है।। वृक्ष राज बरगद हुआ शर्मिंदा,पतझड़ में सारे पत्ते झड़ जाते हैं।आम की ड़ाल पर बैठ के कोयल,फुदक – फुदक के तान सुनाते हैं।। बसन्त ऋतु में बौराते है … Read more

जिंदगी एक पतंग – आशीष कुमार

जिंदगी एक पतंग – आशीष कुमार उड़ती पतंग जैसी थी जिंदगीसबके जलन की शिकार हो गईजैसे ही बना मैं कटी पतंगमुझे लूटने के लिए मार हो गई सबकी इच्छा पूरी की मैंनेमेरी इच्छा बेकार हो गईकहने को तो आसमान की ऊँचाईयाँ मापी मैंनेचलो मेरी ना सही सबकी इच्छा साकार हो गई ऐसा भी ना था … Read more

दोपहर पर कविता – राजेश पांडेय वत्स

दोपहर पर कविता (छंद -कवित्त ) तपन प्रचंड मुख खोजे हिमखंड अब, असह्य जलती धरादेखे मुँह फाड़ के! धूप के थप्पड़ मार पड़े गड़बड़ बड़े, पापड़ भी सेक देते पत्थर पहाड़ के! खौल खौल जाते घरबार जग हाहाकार, सिर थाम बैठे सबदुनिया बिगाड़ के! आहार विहार रघुनाथ मेरे ठीक रखें, अब तो भुगत वत्स सृष्टि … Read more

मुख पर कविता – राजेश पांडेय वत्स

मुख पर कविता -मनहरण घनाक्षरी गैया बोली शुभ शुभ, सुबह से रात तक,कौआ बोली हितकारी,चपल जासूस के! हाथी मुख चिंघाड़े हैं, शुभ मानो गजानन,सियार के मुख कहे,बोली चापलूस के! मीठे स्वर कोयल के, बसंत में मधु घोले,तोता कहे राम राम,मिर्ची रस चूस के! राम के भजन बिन, मुख किस काम आये,वत्स कहे ब्यर्थ अंग,खाये मात्र … Read more

चिड़िया पर बालगीत – साधना मिश्रा

चिड़िया पर बालगीत – चुनमुन और चिड़िया चुनमुन पूछे चिड़िया रानी, छुपकर कहाँ तुम रहती हो?मेरे अंगना आती न तुम, मुझसे क्यों शर्माती हो? नाराज हो मुझसे तुम क्यों? दूर – दूर क्यों रहती हो?आओ खेलें खेल- खिलौने, डरकर क्यों छुप जाती हो? चिड़िया उदास होकर बोली, मेरा घर बर्बाद किया।बाग – बगीचे काट-काटकर, अपना … Read more