नश्वर काया – दूजराम साहू अनन्य
नश्वर काया – दूजराम साहू “अनन्य “ कर स्नान सज संवरकर ,पीहर को निकलते देखा । नूतन वसन किये धारण ,सुमन सना महकते देखा ।कुमकुम चंदन अबीर लगा ,कांधो पर चढ़ते देखा । कम नहीं सोहरत खजाना ,पर खाली हाथ जाते देखा ।गुमान था जिस तन का ,कब्र में उसे जाते देखा । कर जतन … Read more