by कविता बहार | Sep 11, 2021 | छत्तीसगढ़ी कविता
कपटी करोना जीव के काल होगे corona जंजाल होगे मानुस बरकपटी करोना जीव के काल होगे।।छोटे बड़े नई चिन्हैं अंधरा,सबो ल बारे तै बन अंगरा।तपे तै तपनी अईसे बैरी ,कुबेर घलो कंगाल होगे ।जंजाल होगे मानुस बरकपटी करोना जीव के काल होगे।।जमो जिनिस अउ हाथ म रईथे,छूत महामारी तोला... by कविता बहार | Sep 11, 2021 | छत्तीसगढ़ी कविता
करिया बादर पर कविता छत्तीसगाढ़ी रचना करिया करिया बादर,तै हा आना।घटा बनके चुंदी ल छरियाना।जम्मों जीव रद्दा तोर देखत हे।गरमी पियास कुहका झेलत हे।बिजली के बिंदी लगाना।आँखी म काजर अँजाना।करिया करिया बादर,तै हा आना।घटा बनके चुंदी ल छरियाना।भुँईया के छाती ह फाटगे।पानी सुखागे... by कविता बहार | Sep 11, 2021 | छत्तीसगढ़ी कविता
गणपति को विघ्ननाशक, बुद्धिदाता माना जाता है। कोई भी कार्य ठीक ढंग से सम्पन्न करने के लिए उसके प्रारम्भ में गणपति का पूजन किया जाता है। भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का दिन “गणेश चतुर्थी” के नाम से जाना जाता हैं। इसे “विनायक चतुर्थी” भी कहते हैं । महाराष्ट्र... by कविता बहार | Sep 9, 2021 | लोकप्रिय हिंदी कविता
आत्मसम्मान पर कविता बीच चौराहे बेइज़्ज़त हुआक्या मेरा आत्मसम्मान नही थापलट के देता उत्तर मैं भीपर दोनो के लिए कानून सामान नहीं थावो मारती गई , में सहता गयाक्या गलती है मेरी दीदी ये मैं कहता गयावो क्रोध की आग में झुलस रही थीनारी शक्ति का सहारा लेकर मचल रही थीअगर कानून...
by कविता बहार | Sep 9, 2021 | दिन विशेष कविता
विधवा पर कविता का विषय अक्सर समाज की उन कठिनाइयों और चुनौतियों को दर्शाता है, जो एक महिला को अपने पति के निधन के बाद सहन करनी पड़ती हैं। ये कविताएँ उसकी आंतरिक पीड़ा, संघर्ष, समाज की कठोरता, और कभी-कभी उसके पुनर्जीवन और आत्म-सशक्तिकरण की भी कहानी कहती हैं। विधवा पर...