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  • मनोज्ञा छंद “होली” – बासुदेव अग्रवाल

    मनोज्ञा छंद “होली” – बासुदेव अग्रवाल

    मनोज्ञा छंद "होली" - बासुदेव अग्रवाल
    holi

    भर सनेह रोली।
    बहुत आँख रो ली।।
    सजन आज होली।
    व्यथित खूब हो ली।।

    मधुर फाग आया।
    पर न अल्प भाया।।
    कछु न रंग खेलूँ।
    विरह पीड़ झेलूँ।।

    यह बसंत न्यारी।
    हरित आभ प्यारी।।
    प्रकृति भी सुहायी।
    नव उमंग छायी।।

    पर मुझे न चैना।
    कटत ये न रैना।।
    सजन याद आये।
    न कुछ और भाये।।

    विकट ये बिमारी।
    मन अधीर भारी।।
    सुख समस्त छीना।
    अति कठोर जीना।।

    बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’
    तिनसुकिया

  • २२ मार्च विश्व जल दिवस – प्रिया शर्मा

    विश्व जल दिवस 22 मार्च को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विश्व के सभी देशों में स्वच्छ एवं सुरक्षित जल की उपलब्धता सुनिश्चित करवाना है साथ ही जल संरक्षण के महत्व पर भी ध्यान केंद्रित करना है। विश्व जल दिवस  पर कविता बहार की एक कविता –

    जल पर कविता
    22 मार्च विश्व जल दिवस 22 March World Water Day

    पानी का महत्व

    पानी कहता-पानी कहता, मुझे बचाओ अब मुझे बचाओ,

    बहता पानी यह भी कहता, बेकार ना मुझे बहाओ।

    पानी को यूँ व्यर्थ बहाना, नहीं है अच्छी बात,

    बूँद बूँद से गागर भरती , ये कैसे समझाऊँ आज।

    अपने गिरते स्तर को देखकर, कहता अब ये सलिल,

    पानी को बचाइये , इसका स्तर बढाइये , सब साथ हिलमिल।

    कुछ कीमत में भी मिल जाता हूँ, सोचो कुछ तो अब,

    आगे क्या हो जायेगी कीमत, ये सोचोगे कब।

    पॉलीथिन का उपयोग न करें, न इसे जलाइये ।

    वातावरण प्रदूषण मुक्त रखें, पानी पीने योग्य बनाइये ।

    हरियाली भी नहीं बची तो पानी कहाँ से पाओगे,

    हर व्यक्ति एक वृक्ष लगाए तो जीवन सुखी बनाओगे।

    भारत में ही कुछ प्रतिशत बचा है पीने योग्य पानी,

    समय रहते संभल जाओ, नहीं तो आगामी पीढ़ी को याद आएगी नानी।

    संत रहीम ने भी क्या खूब लिखा –

    रहिमन पानी राखिये “बिन पानी सब सून”

    पानी गए न ऊबरे, मोती, मानुष , चून ।

    -प्रिया शर्मा

  • चादर जितने पांव पसारो – राकेश सक्सेना

    कविता संग्रह
    कविता संग्रह

    चादर जितने पांव पसारो – राकेश सक्सेना

    अभिलाषा और ईर्श्या में,
    रात-दिन सा अंतर जानो तुम।
    अभिलाषा मजबूत रखो,
    ईर्श्या से दिल ना जलाओ तुम।।

    चादर जितने पांव पसारो,
    पांव अपने ना कटाओ तुम।।
    अपनी मेहनत से चांद पकड़ो,
    उसे नीचे ना गिराओ तुम।

    “उनके घर में नई कार है,
    मेरा स्कूटर बिल्कुल बेकार है”।
    “एयर कंडीशंड घर है उनका,
    अपना कूलर, पंखा भंगार है”।।

    “उनका घर माॅर्डन स्टाईल का,
    अपना पुराना खंडहर सा है”।
    “वो पार्लर, किटीपार्टी जाती,
    मेरा जीवन ही बेकार है”।।

    ये बातें जिस घर में होती,
    वहां अज्ञान अंधेरा है।
    चादर जितने पांव पसारो,
    वहीं शांति का डेरा है।।

    राकेश सक्सेना, बून्दी, राजस्थान
    9928305806

  • मुझे तेरे करम का एहसास हो – कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

    कविता संग्रह
    कविता संग्रह

    मुझे तेरे करम का एहसास हो – कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

    मुझे तेरे करम का एहसास हो
    तू यहीं कहीं मेरे आसपास हो

    थक जाऊं तो सहारा देना
    गिरने जो लगूं तो संभाल लेना

    तेरे रहमत तेरे करम का साया हो
    या मै यहाँ रहूँ या वहाँ रहूँ

    किस्सा ए जिंदगी सुकून से चले
    हर वक्त तेरा नाम मेरी जुबान पे रहे

    कि जागूं तो बसर रह जुबान पे मेरी
    और जुस्तजू तेरी ख्वाब में भी बरकरार रहे

    तूने खिलाया है सभी को गोदी में लेकर
    तेरा ये प्यार हम पर भी बरकरार रहे

    एहसास -ए -करम हम पर ताउम्र रहे
    हमेशा तू यहीं कहीं मेरे आसपास रहे

    मंजिल मेरे खुदा तू मुझे नज़र करना
    तेरे करम का चर्चा हो गली – गली

    इतना रहम हम पर तासहर करना
    मुझे तेरे करम का एहसास हो

  • मैंने माँ से पूछा? वंशिका यादव

    माँ बेटी

    आज मैने माँ से पूछा कि क्या आप बिस्तर लगाते वक्त अब भी याद करती हैं?तो माँ ने कहा मेरे बच्चे जल्दी घर आजा मुझे तेरी याद आती है।

    आज मेरी आँखे नम थी, और गला कुछ रुंधा सा था,क्योंकि मैं आज रोयी थी।तब शाम को मैने मम्मी को फोन किया और पूछा कि आप कैसे हो?माँ का अगला सवाल मुझसे था, चल तु बता तु रोयी क्यों है?
    मैंने माँ से पूछा? गद्य,वंशिका यादव