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  • पेड़ धरा की शान है परमेश्वर साहू अंचल

    पेड़ धरा की शान है परमेश्वर साहू अंचल



    पेड़ धरा की शान है,
    नेक सफ़ल अभियान।
    आओ रोपें मिलकर,
    तजें तुच्छ अभिमान।।

    हवा शुद्ध करता यही,
    खास नेक पहचान।
    जड़ी बूटी है काम की,
    पूर्ण करें अरमान।।

    ताप उमस हरदम हरे,
    रक्षा करता धूप।
    शीतल छाया में सदा,
    निखरे हड़पल रूप।।

    डंठल पत्तल काम की,
    आते सारे काम।
    इससे मानव को मिले,
    युग युग से आराम।।

    दोना पत्तल भी बने,
    मिले सदा व्यापार।
    हड़पल बनकर दोस्त सम,
    करता यह उद्धार।।

    टेबल कुर्सी मेज भी,
    घर का बने कपाट।
    नदिया, नाले पुल बने,
    रास्ता करे सपाट।।

    छज्जा पाटी म्यार भी,
    बने बहुत सी चीज।
    पकने दें फल को सदा,
    बड़े काम की बीज।।


    🌹🙏 *अंचल* 🙏🌹

  • कर्ज पर कविता – मनोरमा चन्द्रा

    कर्ज पर कविता – मनोरमा चन्द्रा



    कर्ज तले जो दब गए,
    होते हैं गमगीन।
    उसकी निंदा छोड़ तू,
    समझ उसे मत दीन।।

    कर्ज लिया जो आज है,
    उसे नहीं तू भूल।
    जो तुमने धोखा दिया,
    लूँगा कर्ज वसूल।।

    सेठ कर्ज जितना दिया ,
    सूद संग की चाह।
    हो वसूल सब राशियाँ ,
    पूरे होते माह।।

    कर्ज दिया जिसने तुझे,
    वह व्यक्तित्व महान।
    सारे जीवन याद रख,
    मान सदा अहसान।।

    चिंता करना छोड़ तू,
    दिव्य सोच तू धार।
    कहे रमा ये सर्वदा,
    कर्ज समझ मत भार।।

    *~ मनोरमा चन्द्रा “रमा”*
    *रायपुर (छ.ग.)*

  • सतत् क्रिया है खोज- मनोरमा चन्द्रा

    सतत् क्रिया है खोज- मनोरमा चन्द्रा


    सबकी अपनी दृष्टि है,
    एक अलग ही खोज।
    जो मन को अच्छा लगे,
    वही करत जन रोज।।

    जीव खोजता ईश को,
    लेकिन है अंजान।
    ईश्वर हृदय विराजते,
    सार बात यह मान।।

    चले निरंतर खोज जब,
    आते हैं परिणाम।
    त्याग लगन प्रिय साधना,
    होता जग में नाम।।

    मेरी आँखें खोजती,
    नटवर नागर श्याम।
    कृपा करो इस दीन पर,
    जपूँ भोर अरु शाम।।

    सतत् क्रिया है खोज यह ,
    जब तक है संसार।
    कहे रमा ये सर्वदा,
    धरलो ध्येय अपार।।

    *~ मनोरमा चन्द्रा “रमा”*
    *रायपुर (छ.ग.)*

  • मदिरा मंंदिर एक सा- रामनाथ साहू ” ननकी “

    मदिरा मंंदिर एक सा


    मदिरा का पर्याय है , माधव मोहन प्यार ।
    कभी कहीं उतरे नहीं , छके भरे रससार ।।
    छके भरे रससार , प्रेमरस पीले पगले ।
    क्या जाने कल वक्त , मिले या आगे अगले ।।
    कह ननकी कवि तुच्छ , पिया था जिसे कबिरा ।
    मदिरालय मन मस्त , पिये जा माधव मदिरा ।।


    मदिरा पीकर कह दिया , उसने सच्ची बात ।
    मौन खड़े हैं अब सभी , नैन अश्रु बरसात ।।
    नैन अश्रु बरसात , दर्द से रिश्ता गहरा।
    विकल रहे दिन रैन , सदन पर गम है पसरा ।।
    कह ननकी कवि तुच्छ , सत्य की बहती सुषिरा ।
    गलती होती माफ , खोल दी बातें मदिरा ।।


    मदिरा मंंदिर एक सा , एक राशि गुण भिन्न ।
    एक मनस को शांति दे , करता कोई खिन्न ।।
    करता कोई खिन्न , मार्ग से है भटकाता ।
    मिले कही सद्मार्ग , पथिक बन मोक्ष लुटाता ।।
    कह ननकी कवि तुच्छ , मतौना दोनो रुचिरा ।
    जुड़े मान अपमान , चुनो अब मंदिर मदिरा ।।


    —— रामनाथ साहू ” ननकी “
    मुरलीडीह

  • मेरे भारत देश है श्रेष्ठ गुणों की खान -मनोरमा चन्द्रा “रमा”

    मेरे भारत देश है श्रेष्ठ गुणों की खान -मनोरमा चन्द्रा “रमा”

    मेरे भारत देश है श्रेष्ठ गुणों की खान -मनोरमा चन्द्रा “रमा”

    mahapurush

    मन में अभिलाषा भरी,
    सभी बने विद्वान।
    मेरे भारत देश है,
    श्रेष्ठ गुणों की खान।।

    शांति नाद गूँजे सदा,
    सबका हो अरमान।
    सत्य, अहिंसा मार्ग चल,
    वही श्रेष्ठतम जान।।

    रंग भेद को तज चलें,
    रखें मनुज समभाव।
    श्रेष्ठ कर्म नित कर चलो,
    रिश्ते लगे न दाव।।

    देश भक्ति कर लो सदा,
    श्रेष्ठ उसे तू जान।
    मातृभूमि से स्नेह अति,
    करलो तुम इंसान।।

    श्रेष्ठ कर्म के पुंज से,
    मनुज ध्येय को धार।
    कहे रमा ये सर्वदा,
    जीवन का वह सार।।

    मनोरमा चन्द्रा “रमा”
    रायपुर (छ.ग.)