हिम्मत रख

हिम्मत रख मल्लाह तूफानों के बीच में बनकर नन्हा दीप , तूफानों से लड़ रहा ।निश्चित जीत महीप , कृपा दृष्टि प्रभु आपकी ।। सफर नहीं आसान , साथी बढते ही चलो ।बहुत बड़ा तूफान , लहरों के कारण कई…

विरोधाभासपूर्ण कविता

विरोधाभासपूर्ण कविता आर आर साहू, छत्तीसगढ़ हो न यदि संवेदना पर पीर की,मोल क्या जानोगे श्री रघुवीर की! दुष्ट दुर्योधन दुशासन हैं जहाँ,दुर्दशा है द्रौपदी के चीर की। सत्य को सूली लगाकर आज वो,छद्म पूजा कर रहे तस्वीर की। रौशनी…

मन का मंथन – रामनाथ साहू ” ननकी “

मन का मंथन मंथन मानस का करो , जानो सत्य असत्य ।कहाँ गुमी हैं मंजिलें , बूझ दिशा क्या गत्य ।।बूझ दिशा क्या गत्य , लक्ष्य से कब है छूटा ।भटका अपने मूल , स्वार्थ में किसको लूटा ।।कह ननकी…