दम्भ पर कविता – बाबूलालशर्मा *विज्ञ*

दम्भ पर कविता घाव ढाल बन रहे. स्वप्न साज बह गये।. पीत वर्ण पात हो. चूमते विरह गये।। काल के कपाल पर. बैठ गीत रच रहा. प्राण के अकाल कवि. सुकाल को पच रहा. सुन विनाश गान खगरोम की तरह…

मोहिनी-डॉ एन के सेठी

मोहिनी-कुंडलियाँ सूरत है मन मोहिनी, राधा माधव साथ।हुए निरख सब बावरे, ले हाथों में हाथ।।ले हाथों में हाथ, छवि लगती अति न्यारी।मुरलि बजाए श्याम,लगे सबकोये प्यारी।।कहता कवि करजोरि,है मनमोहिनी मूरत।सब पाएं सुख चैन, देखके उनकी सूरत।।🕉🕉🕉🕉राधा गोरी है अधिक, साँवले…

पृथ्वीराज पर कविता-बाबूलालशर्मा *विज्ञ*

पृथ्वीराज पर कविता अजयमेरु गढ़ बींठली, साँभर पति चौहान।सोमेश्वर के अंश से, जन्मा पूत महान।। ग्यारह सौ उनचास मे, जन्मा शिशु शुभकाम।कर्पूरी के गर्भ से, राय पिथौरा नाम।। अल्प आयु में बन गए, अजयमेरु महाराज।माँ के संगत कर रहे, सभी…

नन्ही कदमों पर कविता

नन्ही कदमों पर कविता नन्ही कदमों से कोसों चलेमाँ की आंचल पकड़े -पकड़े !और कितनी दूर जाना है माँकुछ चलकर हो जाते खड़े !! माँ बोली थोड़ी दूर और ..बेटा हमको चलना है !एक बार पहुँच गये तोफिर वही पर…