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  • कोरोना पर दोहे

    कोरोना पर दोहे

    विद्यालय सब बंद है,कोरोना का घात।
    नर नारी सब मास्क पर,कहते डर की बात।।

    हाथ विचारे देख के,रहते हैं चुपचाप।
    नहीं बताते कुछ हमें,कोरोना पर आप।।

    कोरोना के काट का,खोज करो सब आज।
    मरे नहीं कोई यहाँ,होवे खूब इलाज।।

    आवत रोगी देख के,काँपे सबके हाथ।
    डॉक्टर परिजन सब डरे,असली रिश्ते साथ।।

    धोते रहना हाथ को,मास्क रहे मुँह नाक।
    भीड़ भाड़ से दूर हो,कोरोना तब खाक।।

    राजकिशोर धिरही

  • कवि पर कविता

    कवि पर कविता

    kalam

    साहित्य के चूल्हे पर
    शब्दों का तवा चढ़ा
    वैचारिकता की लकड़ी में
    भावनाओं की आग जलाकर
    कलम की चिमटी से
    मैं कविताओं की रोटियां सेंकता हूँ
    हाँ! मैं कवि हूँ।

    ©तिलसमानी_KYS

  • बहुजनों का नायक साहब कांशीराम पर कविता

    कांशीराम पर कविता

    हाथी जैसा चाल,और शेर का दहाड़ था।
    हरि सिंह का लाडला,ओ साहब कांशीराम था।
    बिसन कौर के लाल,रूपनगर में जन्मे।
    डील डौल बालक, बचपन से होनहार था।

    सफर किये वैज्ञानिक तक,ऐसा विद्वान था।
    मान्यवर कांशीराम जी, देश का महान था।
    आदर्श रहे उनके, बाबा साहब अम्बेडकर।
    हमारे ओ मसीहा, दलितों का भगवान था।

    नीला झंडा वाला,बहुजनों का नायक था।
    जोश बढ़ाने वाला,साहब कांशीराम था।
    मनुवाद के खिलाप कर, लोगों को जगाया।
    हम बहुजनों को,वर्ण व्यवस्था समझाया था।


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    रचनाकार – डिजेन्द्र कुर्रे“कोहिनूर”
    पीपरभवना,बलौदाबाजार (छ.ग.)
    मो. 8120587822

  • साहब कांसीराम पर कविता

    साहब कांसीराम पर कविता

    वो साईकिल चलाने वाला
    साहब कांसीराम था।

    वंचित को हक दिलाने वाला
    साहब कांसीराम था।

    बामसेफ को बनाने वाला
    साहब कांसीराम था।

    नीला झंडा उठाने वाला
    साहब कांसीराम था।

    खून में उबाल लाने वाला
    साहब कांसीराम था।

    शुद्र मन पर छाने वाला
    साहब कांसीराम था।

    भीम की याद दिलाने वाला
    साहब कांसीराम था।

    हमें हुक्मरान बनाने वाला
    साहब कांसीराम था।

    मनु की धज्जियाँ उड़ाने वाला
    साहब कांसीराम था।

    सिल्ला’ को पीछे लगाने वाला
    साहब कांसीराम था।

    -विनोद सिल्ला

  • मित्रता पर कविता

    मित्रता पर कविता

    मित्रो के विवाद में संवाद करना चाहिए।
    मित्रो की मित्रता में अमृत रस बना चाहिए।


    मित्र ज्ञानी हो ना हो, सचा होना चाहिए।
    मित्रो में कपट ना हो, प्रेम होना चाहिए।


    समस्या में मित्रो का आसरा लेना चाहिए।
    भूख में मित्र भोजन बनना चाहिए।


    बुद्धि हो ना हो मित्र में परन्तु छल नहीं होना चाहिए।
    कृष्ण, सुदामा जैसा मित्र हर व्यक्ति को मिलना चाहिए।


    शत्रु भी देख कर डर जाए ऐसी मित्रता होनी चाहिए।
    मित्रो के प्रलोभन को हल करना चाहिए।


    दूर से ही मित्रता की भनक लग जाए,

    ऐसी मित्रता करनी चाहिए।