इंसान-इंसान के बीच कितनी हैं दूरियां इंसान-इंसान को नहीं मानता इंसान मानता है किसी न किसी जाति का धर्म का प्रतिनिधि इंसान की पहचान इंसानियत न होकर बन गई पहचान जाति व धर्म
हो गई परिस्थितियां बड़ी विकट विवाह-शादी कार-व्यवहार क्रय-विक्रय सब कुछ में दी जाती है वरीयता अपनी जाति को अपने धर्म को जाति-धर्म ही सबसे बड़ी बाधा है मानव के विकास में