मैं हूं एक लेखनी
मैं हूं एक लेखनी ,
क्यों मुझे नहीं जानता ,
निरादर किया जिसने ,
जग में नहीं महानता।
जिसने मुझे अपनाया ,
हुआ वह बड़ा विद्वान ,
जिसने किया आदर ,
मिला यश और सम्मान ,
मेरे ही द्वारा हुआ ,
रचना महाभारत रामायण ,
साहित्यो का हुआ विमोचन ,
ज्ञान विज्ञान का लेखन ,
देश में हुए वृहद कार्य,
मेरे ही भरोसे बल पर ,
हुआ संविधान लेखन ,
मेरे ही दम पर ,
बने नेता शिक्षक ,
बने डॉक्टर इंजीनियर ,
मेरा ही प्रयोग कर ,
बना वह कलेक्टर ,
आधुनिक युग में ,
नाम मिला मुझे बाल पेन ,
बना रूप मेरा आकर्षक ,
कोई कहता मुझे फाउंटेन ।
श्रीमती शशिकला कठोलिया, शिक्षिका, अमलीडीह पोस्ट -रूदगांव ,डोंगरगांव, जिला-राजनांदगांव छ ग
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