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  • प्रसन्न रहे मेरी मां भारती -रश्मिअग्निहोत्री

    bharatmata
    भारत माता

    प्रसन्न रहे मेरी मां भारती

    हे गणपति ! गणराज, गणनायक,
    विघ्नहर्ता वरदाता, मंगल दायक।
    अष्ट  सिद्धि, नव  निधि  के दाता, 
    आए शरण, राखो लाज विधाता।

    हे  शंकर  सु्वन,  भवानी  नंदन,
    रिद्धि  देना  और  सिद्धि   देना।
    कोमल बुद्धि देना हर सकू संताप 
    जगत के आप मुझे प्रसिद्धि देना।

    मोह  माया  से  चित को दूर रखूं ,
    प्रभु  मुझको  ऐसी  शक्ति  देना।
    कुटुंबियों पर स्नेह बरसाती रहूं,
    ऐसी कोमल  हृदय में गंगा देना।

    राष्ट्र कल्याण ही हो, लक्ष्य सदा,
    भारतीयों को ऐसी प्रवृत्ति देना।
    हे गणराजा उतारू मंगल आरती,
    लोक  कल्याणकारी  वर  देना।

    प्रसन्न रहे सदैव ,मेरी  मां भारती ,
    प्रसन्न रहे  सदैव, मेरी मां भारती।।

    रश्मिअग्निहोत्री

    केशकाल, जिला कोंडागांव
    राज्य- छत्तीसगढ़
    सम्पर्क -7415761335

    कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद

  • इतिहास बनाना आदत है -रश्मि अग्निहोत्री

    इतिहास बनाना आदत है

    इतिहास   बनाना  आदत  है,
    परिश्रम इसरो की इबादत है!
    संकल्प  और  गहरा  हुआ है,
    दो कदम पर मंजिल अपनी है!

    क्योंकि, चंद्रयान 2 सफल है,
    हर  हिंदुस्तानी  के  दिल  में!
    बचपन से  चांद  को देखा है,
    अब पाने की हसरत जागी है!

    “रश्मि “क्योंकि  चंद्र की  दूरी, 
    चंद्रयान २ से ज्यादा दूर नहीं! 
    फिर हौसलों की उड़ान भरेंगे,
    जो न किया गया उसे हम करेंगे !

    क्योंकि,इतिहास बनाना आदत है,
    परिश्रम  इसरो  की  इबादत  है !
    दुआ व प्रार्थना  का  असर होगा, 
    देख लेना कल हमारा चांद होगा!

    चांदनी से श्रृंगार कर चांद तेरी, 
    दहलीज  पर  होगा  तो  बस !
    हिन्दुस्तान और प्यारा तिरंगा,
    होगा बस हमारा प्यारा तिरंगा।

    रश्मि अग्निहोत्री
      केशकाल जिला कोंडागांव

  • जिंदगी में अच्छा दोस्त किताब है -डीजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर

    जिंदगी में अच्छा दोस्त किताब है “

    हर जिज्ञासु के मन में पाने की चाह है,
    मंजिल तक पहुंचाने का यही एक राह है।

    नया करने का इनमे बनता ख़्वाब है,
    जिंदगी में सबसे अच्छा दोस्त किताब है।

    इसी में कबीर के दोहे एवं संतों की वाणी है,
    इसी मेंअच्छी कविता एवं अच्छी कहानी है।

    किताब ज्ञान का वह अनमोल  धरोहर है,
    जैसा भरा जल की तरह अथाह  सरोवर है ।

    सामाजिक जीवन जीना बेहतर सिखाती है,
    स्वर्णिम भविष्य गढ़ना हमे बतलाती है।

    विविध संस्कृति की अध्ययन हमे कराती है ,
    सर्वधर्म समभाव की शिक्षा हमे  बताती है।

    मन की दुर्गुणों को  निकालना सिखाती है,
    सबसे अच्छी सखा किताबें कहलाती है ।
    ~~◆◆◆~~~~
    रचनाकार – 
    डीजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”
    मिडिल स्कूल पुरुषोत्तमपुर,बसना
    जिला महासमुंद (छ.ग.)
    मो. 8120587822
    कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद

  • है नमन देश की माटी को -राजेश पाण्डेय अब्र

    है नमन देश की माटी को

    विश्वजीत है स्वंत तिरंगा

    तीन रंगों की अमृत गंगा
    सरफ़रोश होता हर जन मन 
    मत लेना तुम इससे पंगा,

    ऊर्ज समाहित सैन्य बलों में

    जन,  धन लेकर खड़े पलों में
    ऊर्जा  का  संचार  देश  में
    प्रश्न खड़े अनुत्तरित हलों में,

    सबल करे नेतृत्व देश का

    अभिमानी हो नहीं द्वेष का
    वक़्त पड़े सर कलम कर सके
    गद्दारी  यूति  परिवेश का,

    है नमन देश की माटी को

    वतनपरस्ती परिपाटी को
    शूर वीर से देश लबालब
    कर चंदन माथे माटी को.

    राजेश पाण्डेय अब्र
       अम्बिकापुर

  • प्रेम का सागर है माँ – सुन्दर लाल डडसेना मधुर

    यहाँ माँ पर हिंदी कविता लिखी गयी है .माँ वह है जो हमें जन्म देने के साथ ही हमारा लालन-पालन भी करती हैं। माँ के इस रिश्तें को दुनियां में सबसे ज्यादा सम्मान दिया जाता है।

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    माँ पर कविता

    प्रेम का सागर है माँ

    ममता की मूरत,प्रेम का सागर है माँ।
    सब कुछ धारण करे,ऐसा गागर है माँ।
    घर घर में रोशन करे,नव सबेरा है माँ।
    प्रेम से बसने वाली,घर का बसेरा है माँ।
    प्रेम,त्याग,दया का,संगम त्रिवेणी है माँ।
    पवित्रता का मंदिर,बुलंदियों की द्रोणी है माँ।
    अटल में हिमालय,फूलों सी कोमल है माँ।
    गीतकार का गीत, शायर की ग़ज़ल है माँ।
    ममता की रेवड़ी बाँटती,आशीषों की बरसात है माँ।
    कुदरत का नया करिश्मा,उत्तम जात है माँ।
    उपवन का मदमस्त महकता,सुन्दर गुलाब है माँ।
    राज सीने में छिपाने वाली,सीप सैलाब है माँ।
    कवि की आत्मा की,गहराई नापने वाली कविता है माँ।
    प्रेम के झरोखे में,झरने वाली सरिता है माँ।
    रिश्तों की अनोखी बंधन,बांधने वाली लता है माँ।
    प्रभु की अनोखी कृति,द्वितीय गीता है माँ।

           सुन्दर लाल डडसेना”मधुर”
    ग्राम-बाराडोली(बालसमुन्द),पो.-पाटसेन्द्री
    तह.-सरायपाली,जिला-महासमुंद(छ.ग.)
    मोब. 8103535652
           9644035652
    कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद