कैसे जुगनू पकड़ूं?
पाँव महावर ,हाथों में मेहँदी
कलाई में कँगना दिये सँवार ।
माथे बिंदिया माँग में सिंदूर
मंगलसूत्र गले दिया सँवार ।
जननी पर भूल गयी बताना
घर गृहस्थी कैसे सँभालू
बाली उमरिया लिखने पढ़ने
खेलने की ,कैसे बिसरा दूँ ।
मेहँदी रचे हाथों में कलछी
कलम कैसे पकडूँगी अब ।
पाँव सजे बिछिया महावर
जूते मौजे कैसे पहनूँगी अब ।
बेड़ी डाली कैसी तुमने मैया
पंख मेरे ही कुतर डाले ।
अपराध किया क्या तात भैया
बचपन के खिलोने तोड़ डाले।
अदृश्य बेड़ियाँ पड़ी हाथ पाँव
कैसे अरमान की उड़ान भरूँ ।
आसमान दूर हो गया सपनों वाला
तारों की छैयाँ कैसे जुगनू पकड़ूं?
पाखी
कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद