जा लिख दे
जा लिख दे “साधु-साधु!”लेखनी लिखे कुछ विशेषदें आशीषमैं भी कुछ ऐसा लिख जाऊँजो रहे संचित युगों-युगोंचिरस्थायी,शाश्वत–’जा लिख दे अपना वतन’जो सृष्टि संग व्युत्पन्नआश्रयस्थल प्रबुद्धजनों का,शूरवीरों काप्रथम ज्ञातारहेगा समष्टि के अंत बाद भी। –’जा लिख दे उस माँ का वर्णन’जो जाग-जाग और भाग-भागनिज सन्तति हित सर्वस्व लुटायेजो पूत प्रेम औरवीर धर्म का पाठ पढ़ायेसर्व जगत की … Read more