सुंदर सा मेरा गाँव
सुंदर सा मेरा गाँव यही सुंदर सा मेरा गाँवपले हम पाकर सबका प्यार।यहाँ बनता नहीं धर्म तनावयहीं अपना सुखमय संसार।बजे जब यहाँ सुबह के चारकरें जब नृत्य विपिन में मोर। दिशा पूरब सिंदूर उभारनिशा की गोद तजे जब भोर।कृषक उठकर बैलों को खोललिए अब चलें जहाँ गोआर।सुनो तब झंकृत घंटी बोलबँधे जो गले करें झंकार … Read more