तीन ताँका – प्रदीप कुमार दाश
तीन ताँका नेकी की राहछोड़ते नहीं पेड़खाये पत्थरपर देते ही रहेफल देर सबेर । जेब में छेदपहुँचाता है खेदसिक्के से ज्यादागिरते यहाँ रिश्तेअचरज ये भेद … Read more
तीन ताँका नेकी की राहछोड़ते नहीं पेड़खाये पत्थरपर देते ही रहेफल देर सबेर । जेब में छेदपहुँचाता है खेदसिक्के से ज्यादागिरते यहाँ रिश्तेअचरज ये भेद … Read more
प्रजातंत्र पर कविता जहरीला धुंआ है चारो ओर,मुक्त हवा नहीं है आज,पांडव सर पर हाथ धरे हैं,कौरव कर रहे हैं राज! समाज जकड़ा जा रहा … Read more
सुनो एक काम करते हैं सुनो एक काम करते हैं दोनों भाग जाते हैंचलेंगे उस जगह पे हम जहां सब मुस्कुराते हैंबहारों का हंसी मौसम … Read more
उषा सुहानी लगे प्यारी उषा सुहानी लगे प्यारी मंद पवन की ठंडक न्यारी घोंसला छोड़ पंछी भागे उषाकाल नींदों से जागे । कोयल की … Read more
स्वामी जी आपको करते हैं नमन स्वामी जी आपको करते हैं नमनस्वीकार कीजिए श्रद्धा सुमन वेदों का पाठ सारे जग को पढ़ायादुनिया में भारत का … Read more