प्रीत की रीत
प्रीत की रीत चंद्र गगन में आधा हो ,प्रिय से मिलन का वादा हो ,बनता है इक गीत|निस दिन अंखियां बरसी हो ,पिया मिलन को तरसीं होंबढ़ती है तब प्रीत|जब सारी रस्में निभानीं हो,छोटी जिंदगानीं हो,सजती है तब प्रीत की रीत|सपनें देखें संग संग में ,प्यार पले दोनों मन में ,बनते तब वे सच्चे मीत|दिल … Read more