सूरज का है आमंत्रण
अंधेरों से बाहर आओ,
सूरज का है आमंत्रण!
बिखरो न यादों के संग,
बढ़ो,लिए विश्वासी मन!
अतीत के पन्नों पर नूतन,
गीत गज़ल का करो सृजन!
भीगी आंखों को धोकर,
भर लो अब तुम नवजीवन!
खुशियों को कर दो ‘अर्पण’,
जियो औरों की ‘प्रेरणा’बन!!
-डॉ. पुष्पा सिंह’प्रेरणा’