समय पर कविता -डॉ. पुष्पा सिंह’प्रेरणा
समय पर कविता तेरे पाँवों की जंजीरों को,पाजेब बना दूँ !हथकड़ियाँ तोड़ हथेलियों में,मेहंदी रचा दूँ !नाजुक कलाइयों में रंगीन,चूड़ियाँ खनका दूँ!माथे की शिकन पर,झिलमिल बिंदिया सजा दूँ ! हे कर्मशील स्त्री आ तुझे,वनिता बना दूँ!न घबरा,भयभीत न हो,न भूल अपनी शक्ति को,न खामोशी से सहती रह,जोर जबरदस्ती को! आ चल साथ मेरे,तुझसे तेरी पहचान … Read more