जिन्दगी पर कविता

जिन्दगी पर कविता जिन्दगी है,  ऐसी कली।जो बीच काँटों के पली।पल्लवों संग झूल झूले,महकी सुमन बनके खिली। जिन्दगी  राहें अनजानी।किसकी रही ये पहचानी।कहीं राजपथ,पुष्पसज्जित,कहीं पगडण्डियाँ पुरानी। जिन्दगी सुख का सागर ।जिन्दगी नेह की गागर।किसी की आँखों का नूर ,धन्य...

यादों के झरोखे से

यादों के झरोखे से ख़तमिल गयातुम्हारा कोरा देखा, पढ़ा, चूमाऔरकलेजे से लगाकररख लिया अनकही थी जो बातसब खुल गयीकालिमा भरी थी मन मेंसब धुल गयी हृदय की वीणा बज उठीछेड़ दी सरगमचाहते थे तुम कितनामगर वक़्त था कम और तुमनेकुछ नहीं लिखकर भीजैसेसब कुछ लिख दिया मैंनेदेखा, पढ़ा,...

प्रभात हो गया

प्रभात हो गया उठोप्रात हो गयाआँखें खोलोमन की गठानें खोलो आदित्य सर चढ़करबोल रहा हैऊर्जा संग मिश्रीघोल रहा है नवल ध्वज लेकरअब तुम्हेंजन मन धन के निमित्तलक्ष्य की ओरजाना हैगंतव्य के छोर परपताका फहराना है असीम शक्ति तरंगेंतुम्हारे इंतज़ार में हैं उठो !मेघनाद की तरहहुंकार...
दोहा पंचक

दोहा पंचक

दोहा पंचक -रामनाथ साहू ननकी किन्नर  खूब  मचा  रहे ,  रेलयान  में   लूट ।कैसी है  ये  मान्यता , दी  है किसने  छूट ।। जल थल नीले गगन पर ,, मानव का आतंक ।दोहन जो  करता  मिले , सागर को ही पंक ।। हिंसा ...

ये है मेरा वतन

ये है मेरा वतन ये है मेरा वतन मेरा गंगा जमन ।ये देश है गौतम गांधी काये देश है नेहरू शास्त्री कायहाँ तिरंगा प्यारा है।यहाँ गंग यमुन की धारा है ।ये मेरा तन मन मेरा जीवन । ये है मेरा वतन मेरा गंगा जमनयहाँ तुलसी और कबीर हैयहाँ प्रीत का रंग अबीर हैयहाँ राम और रहीम हैयहाँ...