रसोईघर पर कविता – राजेश पांडेय वत्स

रसोईघर पर कविता (छंद-मनहरण घनाक्षरी) अँगीठी माचीस काठ,कंडा चूल्हा और राख, गोरसी सिगड़ी भट्टी, *देवता रसोई के!* सिल बट्टा झाँपी चक्की,मथनी चलनी चौकी,कड़ाही तसला तवा, *वस्तु कोई-कोई के!* केतली कटोरा कुप्पी,बर्तन मूसल पीढ़ा, गिलास चम्मच थाली, *रखे सब धोई के!*…

मजदूर की दशा पर हास्य व्यंग्य – मोहम्मद अलीम

1 मई अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस 1 May International Labor Day

अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस या मई दिन मनाने की शुरूआत 1 मई 1886 से मानी जाती है जब अमेरिका की मज़दूर यूनियनों नें काम का समय 8 घंटे से ज़्यादा न रखे जाने के लिए हड़ताल की थी। किसी भी समाज, देश, संस्था और उद्योग में मज़दूरों, कामगारों और मेहनतकशों की अहम भूमिका होती है।

मेरा साथी कौन- दीप्ता नीमा

मेरा साथी कौन- दीप्ता नीमा एक दिन मुझे भगवान् मिलेमैंने उनसे पूछा कि भगवन्आप मुझे बताएं कि मेरा साथी कौन? मैं राही मेरी मंजिल है कौन मैं पंछी मेरा घोसला है कौनमैं तूफान मेरा साहिल है कौनमैं हूँ नाव मेरा…

असाध्य वीणा – अज्ञेय की कविता

असाध्य वीणा अज्ञेय जी की एक लम्बी कविता है। इस कविता की रचना उन्होंने सनˎ1957-58 के जापान प्रवास के बाद 18-20 जून 1961 में अल्मोड़ा के कॉटेज में 321 पंक्ति वाली यह लंबी कविता लिखी थी। यह कविता उनके काव्य…

आतंकवाद विरोधी दिवस पर कविता – एकता गुप्ता

21 मई, 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी। उनकी हत्या के बाद ही 21 मई को आतंकवाद विरोधी दिवस के तौर पर मनाने का फैसला किया गया। इस दिन हर सरकारी कार्यालयों, सरकारी उपक्रमों…

धर्म की कृत्रिमता पर कविता-नरेंद्र कुमार कुलमित्र

धर्म की कृत्रिमता पर कविता कृत्रिम होती जा रही है हमारी प्रकृति-03.03.22—————————————————-हिंदू और मुसलमान दोनों कोठंड में खिली गुनगुनी धूप अच्छी लगती हैचिलचिलाती धूप से उपजी लू के थपेड़ेदोनों ही सहन नहीं कर पाते हिंदू और मुसलमान दोनोंठंडी हवा के…

क्या यही है “आस्था – शशि मित्तल “अमर”

आस्था धूम मची है,जय माता की… मंदिरों, पंडालों में, लगी है भीड़ भक्तों की.. क्या यही है “आस्था “? मन सशंकित है मेरा, वृद्धाश्रम में दिखती माताएँ… जो जनती हैं एक “वजूद”रचती हैं सृष्टि… थक जाती हैं तब, निकाल दी…

चैत्र मास संवत्सर / परमानंददास

चैत्र मास संवत्सर परिवा बरस प्रवेस भयो है आज।कुंज महल बैठे पिय प्यारी लालन पहरे नौतन साज॥१॥आपुही कुसुम हार गुहि लीने क्रीडा करत लाल मन भावत।बीरी देत दास परमानंद हरखि निरखि जस गावत॥२॥ Post Views: 72

राजाओं का राजस्थान – अकिल खान

राजाओं का राजस्थान वीरों का जमी,रजवाड़ों का है यह घर,उंचे-लंबे महल है,आकर्षित करे सरोवर।राजपूतों और भीलों का,है ये सुंदर धरती,हिन्द की संस्कृति,देखने को यह पुकारती।जन्म लिए वीर योद्धा,और वीरांगना-महान,है अदम्य अनोखा,राजाओं का राजस्थान। अरावली की सुंदरता,बखान करती है बयार,कुछ सूप्त…

मनीभाई नवरत्न की १० कवितायेँ

हाय रे! मेरे गाँवों का देश -मनीभाई नवरत्न हाय रे ! मेरे गांवों का देश ।बदल गया तेरा वेश। सूख गई कुओं की मीठी जल ।प्यासी हो गई हमारी भूतल ।थम गई पनिहारों की हलचल ।क्या यही था विकास का…

राजस्थान दिवस कविता – बाताँ राजस्थान री

राजस्थान दिवस कविता : प्रत्येक वर्ष 30 मार्च को हम राजस्थान की अमर गाथा का अपनी सुनहरी यादों में समरण कर इसे राजस्थान दिवस के रूप में मानते है। देश के लिए सर्वस्व न्योछावर करने की परम्परा आज भी राजस्थान…

सामाजिक विषमता पर कविता- पद्म मुख पंडा

सामाजिक विषमता पर कविता- बही बयार कुछ ऐसी जूझ रहे जीने के खातिर,पल पल की आहट सुनकर,घोर यंत्रणा नित्य झेलते,मृत्यु देवता की धुन पर।सुख हो स्वप्न, हंसी पागलपन,और सड़क पर जिसका घर,किस हेतु वह भय पाले,जब मृत्यु बोध हो जीवन…