रसोईघर पर कविता – राजेश पांडेय वत्स
रसोईघर पर कविता (छंद-मनहरण घनाक्षरी) अँगीठी माचीस काठ,कंडा चूल्हा और राख, गोरसी सिगड़ी भट्टी, *देवता रसोई के!* सिल बट्टा झाँपी चक्की,मथनी चलनी चौकी,कड़ाही तसला तवा, *वस्तु कोई-कोई के!* केतली कटोरा कुप्पी,बर्तन मूसल पीढ़ा, गिलास चम्मच थाली, *रखे सब धोई के!*…

