आम और तरबूजा बाल कविता

आम और तरबूजा बाल कविता कहा आम तरबूजे सेसुन लो मेरी बातफलों का राजा आम मैंतेरी क्या औकातगांव शहर घर-घर में मेरीसबमें है पहचानबड़े शान से बच्चे बूढ़ेकरते खूब बखानअमृतफल फलश्रेष्ट अंबआम्र अनेकों नामलंगड़ा चौसा दशेहरीरूपों से संनामस्वादों में अनमोल…

बहुत छोटे बच्चों के लिए कविता कैसी हो?

छोटे बच्चों के लिए कविता बहुत छोटे बच्चों के लिए मनोरंजक कविता लिख लेना बड़े बच्चों के लिए कविता लिखने की अपेक्षा कहीं अधिक कठिन है। छोटे बच्चों का स्वभाव इतना चंचल और मनोभावनाएँ इतनी उलझी हुई होती हैं कि…

खरबूज बाल कविता

खरबूज बाल कविता हरे रंग खरबूज के,होते हैं ये गोलकाले-काले बीज भी,लगते हैं अनमोल।। करते हैं ये फायदे,पानी भी भरपूर।खाते सब खरबूज को,पूँजीपति मजदूर।। मीठे फल खरबूज के,उपज नदी मैदान।लाल-लाल होते गुदे,खाने में आसान।। नदियों के तट पर लगे,जहाँ बिछी…

भूट्टे की भड़ास बाल कविता

बाल कविता भूट्टे की भड़ास एक भूट्टा का मूंछ पका था,दूसरे भूट्टे का बाल काला।डंडा पकड़ के दोनों खड़े थे,रखवाली करता था लाला।। शर्म के मारे दोनों ओढ़े थे,हरे रंग का ओढ़नी दुशाला।ठंड के मौसम टपकती ओस,खूब पड भी रहा…

नश्वर काया – दूजराम साहू अनन्य

नश्वर काया – दूजराम साहू “अनन्य “ कर स्नान सज संवरकर ,पीहर को निकलते देखा । नूतन वसन किये धारण ,सुमन सना महकते देखा ।कुमकुम चंदन अबीर लगा ,कांधो पर चढ़ते देखा । कम नहीं सोहरत खजाना ,पर खाली हाथ…

हसदेव नदी बचाओ अभियान पर कविता- तोषण कुमार चुरेन्द्र “दिनकर “

hasdeo river

हसदेव नदी बचाओ अभियान पर कविता रुख राई अउ जंगल झाड़ीबचालव छत्तीसगढ़ के थाती लकोनों बइरी झन चीर सकयहसदेव के छाती ल किसम किसम दवा बूटीइही जंगल ले मिलत हेचिरइ चिरगुन जग जीव केसुग्घर बगिया खिलत हेझन टोरव पुरखा ले…

रसीले आम पर कविता – सन्त राम सलाम

🥭रसीले आम पर कविता🥭 रसीले आम का खट्टा मीठा स्वाद,बिना खाए हुए भी मुंह ललचाता है।गरमी के मौसम में अनेकों फल,फिर भी आम मन को लुभाता है।। वृक्ष राज बरगद हुआ शर्मिंदा,पतझड़ में सारे पत्ते झड़ जाते हैं।आम की ड़ाल…

जिंदगी एक पतंग – आशीष कुमार

जिंदगी एक पतंग – आशीष कुमार उड़ती पतंग जैसी थी जिंदगीसबके जलन की शिकार हो गईजैसे ही बना मैं कटी पतंगमुझे लूटने के लिए मार हो गई सबकी इच्छा पूरी की मैंनेमेरी इच्छा बेकार हो गईकहने को तो आसमान की…

दोपहर पर कविता – राजेश पांडेय वत्स

दोपहर पर कविता (छंद -कवित्त ) तपन प्रचंड मुख खोजे हिमखंड अब, असह्य जलती धरादेखे मुँह फाड़ के! धूप के थप्पड़ मार पड़े गड़बड़ बड़े, पापड़ भी सेक देते पत्थर पहाड़ के! खौल खौल जाते घरबार जग हाहाकार, सिर थाम…

मुख पर कविता – राजेश पांडेय वत्स

मुख पर कविता -मनहरण घनाक्षरी गैया बोली शुभ शुभ, सुबह से रात तक,कौआ बोली हितकारी,चपल जासूस के! हाथी मुख चिंघाड़े हैं, शुभ मानो गजानन,सियार के मुख कहे,बोली चापलूस के! मीठे स्वर कोयल के, बसंत में मधु घोले,तोता कहे राम राम,मिर्ची…

चिड़िया पर बालगीत – साधना मिश्रा

चिड़िया पर बालगीत – चुनमुन और चिड़िया चुनमुन पूछे चिड़िया रानी, छुपकर कहाँ तुम रहती हो?मेरे अंगना आती न तुम, मुझसे क्यों शर्माती हो? नाराज हो मुझसे तुम क्यों? दूर – दूर क्यों रहती हो?आओ खेलें खेल- खिलौने, डरकर क्यों…