अपने पापा की मैं हूँ – ताज मोहम्मद
अपने पापा की मैं हूँ
सबसे प्यारी बिटिया…
उनकी ख़ुशियों की मैं हूँ
जादू की इक पुड़िया…
अपने पापा की मैं हूँ सबसे प्यारी बिटिया…
प्राण बसते हैं उनके तो बस मेरे ही अंदर।
मेरी खुशियाँ का वह है इक अनंत समन्दर।।
मैं छोटी सी चिड़ियाँ उनके
अँगना की…
वह है मेरे उड़ने की खातिर खुले आसमां का अम्बर…
मैं हूँ सबसे सुन्दर इस दुनियाँ में
ऐसा वह कहते हैं…
मेरी खुशियों की ख़ातिर
अम्मा से वह लड़ते हैं…
मुझें प्रेम से भर देते वह कहकर अपनी गुड़िया…
अपने पापा की मैं हूँ सबसे प्यारी बिटिया…
मेरी हर जरूरत का वह
बड़ा ध्यान है रखते।
सबसे ज्यादा पाप मेरे
मेरा ख्याल है रखते।।
पूरी बिरादरी से लड़कर
मुझको विद्यालय भेजा।
अक्सर कहते चिड़िया मेरी
ऊँचे गगन में उड़ कर आ।।
उनकी लाडली होने से सब पर मेरा हुकुम ही चलता।
मेरे आगे मेरे घर मे किसी का कुछ ना मनता।।
किस्मत से मेरी ईंर्ष्या करती मेरी सखियाँ…
अपने पापा की मैं हूँ सबसे प्यारी बिटिया…
उनकी तीन संतानों में मैं हूँ सबसे छोटी।
शामत आ जाती बड़के भैय्यों की
मैं जब-जब खेल में रो देती।।
मेरी दुनिया पापा मेरे
मैं पापा की दुनिया।
अक्सर अम्मा ले लेती है
हम दोनों की बलैयाँ।।
मेरे पापा जैसे हो अगर हर लड़की का पापा।
कोई फर्क ना पड़ता फिर लड़की हो या लड़का।।
ऐसे अच्छे पापा मेरे।
सच में सच्चे पापा मेरे।।
प्रेम से कहते हैं सब मुझको…
किस्मत वाली बिटिया हाँ किस्मत वाली बिटिया।
अपने पापा की मैं हूँ…
सबसे प्यारी बिटिया हाँ सबसे प्यारी बिटिया।
ताज मोहम्मद
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