हिंदी संग्रह कविता-खड़ा हिमालय बता रहा है

खड़ा हिमालय बता रहा है कविता संग्रह खड़ा हिमालय बता रहा है, डरो न आँधी पानी में।खड़े रहो अपने ही पथ पर, कठिनाई - तूफानों में।डिगो न अपने पथ से…

हिंदी संग्रह कविता-हम अर्चना करेंगे

हम अर्चना करेंगे कविता संग्रह हे जन्म-भूमि भारत, हे कर्मभूमि भारत,हे वन्दनीय भारत, अभिनन्दनीय भारत,जीवन सुमन चढ़ाकर, आराधना करेंगे,तेरी जनम-जनम भर, हम वन्दना करेंगे। हम अर्चना करेंगे.... महिमा महान् तू…

हिंदी संग्रह कविता-वह जीवन भी क्या जीवन है

वह जीवन भी क्या जीवन है कविता संग्रह वह जीवन भी क्या जीवन है, जो काम देश के आ न सका।वह चन्दन भी क्या चन्दन है, जो अपना वन महका…

हिंदी संग्रह कविता-हमारे प्यारे हिन्दुस्तान

हमारे प्यारे हिन्दुस्तान हमारे प्यारे हिन्दुस्थान, हमारे भारतवर्ष महान ॥जननी तू जन्मभूमि है, तू जीवन तू प्राण ।तू सर्वस्व शूरवीरों का, जगती का अभिमान ॥ हमारे प्यारे उष्ण रक्त अगणित…

हिंदी संग्रह कविता-हम सब भारतवासी हैं

हम सब भारतवासी हैं हम पंजाबी, हम गुजराती, बंगाली, मद्रासी हैं,लेकिन हम इन सबसे पहले केवल भारतवासी हैं।हम सब भारतवासी हैं। हमें प्यार आपस में करना पुरखों ने सिखलाया है,हमें…

हिंदी संग्रह कविता-हम करें राष्ट्र-आराधन

हम करें राष्ट्र-आराधन हम करें राष्ट्र-आराधन, तन से, मन से, धन से।तन, मन, धन, जीवन से, हम करें राष्ट्र-आराधन॥ अंतर से, मुख से, कृति से, निश्चल हो निर्मल मति से।श्रद्धा…

हिंदी संग्रह कविता- सुना रहा हूँ तुम्हें भैरवी

सुना रहा हूँ तुम्हें भैरवी सुना रहा हूँ तुम्हें भैरवी जागो मेरे सोने वाले!जब सारी दुनिया सोती थी तब तुमने ही उसे जगायादिव्य गान के दीप जलाकर तुमने ही तम…

हिंदी संग्रह कविता- वही देश है मेरा

वही देश है मेरा वही देश है मेरा,वही देश है मेरा। द-ऋचाओं में गूंजा है,जिसका अम्बर नीला।जहाँ राम घनश्याम कर गए,युग-युग अद्भुत लीला।जहाँ बांसुरी बजी ज्ञान की, जागा स्वर्ण सवेरा।वही…

हिंदी संग्रह कविता- राष्ट्र की जय

राष्ट्र की जय राष्ट्र की जय चेतना का, गान वन्दे मातरम्राष्ट्र भक्ति प्रेरणा का, गान वन्दे मातरम् । बंसी के बजते स्वरों का, प्राण वन्दे मातरम्झल्लरी झंकार झनके, नाद वन्दे…

हिंदी संग्रह कविता- जय जय भारत

जय जय भारत जय जय भारत, जन-मन अभिमतजन-गण-तन्त्र विधाता। गौरव-भाल-हिमाचल उज्ज्वलहृदय-हार गंगा-जल,कटि विन्ध्याचल, सिन्धु चरण-तलमहिमा शाश्वत गाता। हरे खेत, लहरें नद-निर्झरजीवन-शोभा उर्वर,विश्व कर्मरत कोटि बाहु-करअगणित पद ध्रुव पथ पर। प्रथम…