हिंदी संग्रह कविता- जन्मभूमि पर कविता

जन्मभूमि पर कविता जहाँ जन्म देता हमें है विधाताउसी ठौर में चित्त है मोद पाता। जहाँ हैं हमारे पिता-बंधु-माता,उसी भूमि से है हमें सत्य नाता। जहाँ की मिली वायु है जन्मदानी,जहाँ का बिंधा देह में अन्न-पानी। भरी जीभ में है जहाँ की सुबानी,वही जन्म की भूमि है भूमि-रानी। कहीं जा बसे चाहता किन्तु जी है,रहे … Read more

हिंदी संग्रह कविता-कोटि-कोटि कंठों ने गाया

कोटि-कोटि कंठों ने गाया कोटि-कोटि कंठों ने गाया, माँ का गौरव गान है,एक रहे हैं एक रहेंगे, भारत की संतान हैं। पंथ विविध चिंतन नाना विधि बहुविधि कला प्रदेश की,अलग वेष भाषा विशेष है, सुन्दरता इस देश की।इनको बाँट-बाँटकर देखें, दुश्मन या नादान हैं। कोटि-कोटि मझायेंगे नादानों को, सोया देश जगायेंगे।दुश्मन के नापाक इरादे, जड़ … Read more

हिंदी संग्रह कविता-फिर से नवजीवन का विहान

फिर से नवजीवन का विहान जग-जीवन में जो चिर-महान्,सौन्दर्य-पूर्ण औ’ सत्य-प्राण मैं उसका प्रेमी बनूँ, नाथ,जो हो मानव के हित समान। जिससे जीवन में मिले शक्ति,छूटे भय, संशय, अंधभक्ति, मैं वह प्रकाश बन सकूँ, नाथ,मिल जाएँ जिसमें अखिल व्यक्ति। पाकर प्रभु, तुमसे अमर दान,करने मानव का परित्राण, ला सकूँ विश्व में एक बार,फिर से नवजीवन … Read more

मैं पीड़ा का राजकुँवर हूँ / गोपालदास “नीरज”

मैं पीड़ा का राजकुँवर हूँ / गोपालदास “नीरज” मैं पीड़ा का राजकुँवर हूँ तुम शहज़ादी रूप नगर कीहो भी गया प्यार हम में तो बोलो मिलन कहाँ पर होगा ? मीलों जहाँ न पता खुशी कामैं उस आँगन का इकलौता,तुम उस घर की कली जहाँ नितहोंठ करें गीतों का न्योता,मेरी उमर अमावस काली और तुम्हारी पूनम … Read more

हार न अपनी मानूँगा मैं ! / गोपालदास “नीरज”

हार न अपनी मानूँगा मैं ! / गोपालदास “नीरज” हार न अपनी मानूँगा मैं ! चाहे पथ में शूल बिछाओचाहे ज्वालामुखी बसाओ,किन्तु मुझे जब जाना ही है —तलवारों की धारों पर भी, हँस कर पैर बढ़ा लूँगा मैं ! मन में मरू-सी प्यास जगाओ,रस की बूँद नहीं बरसाओ,किन्तु मुझे जब जीना ही है —मसल-मसल कर उर के … Read more