हिंदी संग्रह कविता-फिर से नवजीवन का विहान

फिर से नवजीवन का विहान जग-जीवन में जो चिर-महान्,सौन्दर्य-पूर्ण औ’ सत्य-प्राण मैं उसका प्रेमी बनूँ, नाथ,जो हो मानव के हित समान। जिससे जीवन में मिले शक्ति,छूटे भय, संशय, अंधभक्ति, मैं वह प्रकाश बन सकूँ, नाथ,मिल जाएँ जिसमें अखिल व्यक्ति। पाकर प्रभु, तुमसे अमर दान,करने मानव का परित्राण, ला सकूँ विश्व में एक बार,फिर से नवजीवन … Read more

मैं पीड़ा का राजकुँवर हूँ / गोपालदास “नीरज”

मैं पीड़ा का राजकुँवर हूँ / गोपालदास “नीरज” मैं पीड़ा का राजकुँवर हूँ तुम शहज़ादी रूप नगर कीहो भी गया प्यार हम में तो बोलो मिलन कहाँ पर होगा ? मीलों जहाँ न पता खुशी कामैं उस आँगन का इकलौता,तुम उस घर की कली जहाँ नितहोंठ करें गीतों का न्योता,मेरी उमर अमावस काली और तुम्हारी पूनम … Read more

हार न अपनी मानूँगा मैं ! / गोपालदास “नीरज”

हार न अपनी मानूँगा मैं ! / गोपालदास “नीरज” हार न अपनी मानूँगा मैं ! चाहे पथ में शूल बिछाओचाहे ज्वालामुखी बसाओ,किन्तु मुझे जब जाना ही है —तलवारों की धारों पर भी, हँस कर पैर बढ़ा लूँगा मैं ! मन में मरू-सी प्यास जगाओ,रस की बूँद नहीं बरसाओ,किन्तु मुझे जब जीना ही है —मसल-मसल कर उर के … Read more

खिलते हैं गुल यहाँ / गोपालदास “नीरज”

खिलते हैं गुल यहाँ / गोपालदास “नीरज” खिलते हैं गुल यहाँ, खिलके बिखरने कोमिलते हैं दिल यहाँ, मिलके बिछड़ने कोखिलते हैं गुल यहाँ… कल रहे ना रहे, मौसम ये प्यार काकल रुके न रुके, डोला बहार काचार पल मिले जो आज, प्यार में गुज़ार देखिलते हैं गुल यहाँ… झीलों के होंठों पर, मेघों का राग … Read more

दिल आज शायर है / गोपालदास “नीरज”

दिल आज शायर है / गोपालदास “नीरज” दिल आज शायर है, ग़म आज नग़मा हैशब ये ग़ज़ल है सनमगैरों के शेरों को ओ सुनने वालेहो इस तरफ़ भी करम आके ज़रा देख तो तेरी खातिरहम किस तरह से जियेआँसू के धागे से सीते रहे हमजो ज़ख्म तूने दियेचाहत की महफ़िल में ग़म तेरा लेकरक़िस्मत से … Read more